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देश में पिछले 6 साल में कामकाजी महिलाएं 18% और पुरुष 5% बढ़ गए। 2023-24 में महिलाओं का वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो (डब्ल्यूपीआर) 40% पर पहुंच गया, जो 2017-18 में 22% ही था। यानी 18% का इजाफा हुआ। वहीं, पुरुषों में यह 76% हो गया, जो 71% था यानी 5% की बढ़ोतरी हुई।
इस हिसाब से कामकाजी महिलाएं पुरुषों से 3 गुना तेजी से बढ़ीं। मगर, 6 साल में पुरुषों की बेरोजगारी दर 2.9% घटी, जबकि महिलाओं की 2.4% ही कम हुई। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) की जुलाई 23 से जून 24 की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं।
कामकाजी लोगों में सबसे ज्यादा 58.4% लोग स्वरोजगार वाले
आंकड़े के मुताबिक, कामकाजी लोगों में सबसे ज्यादा 58.4% लोग स्वरोजगार, 21.7% नियमित नौकरी और 19.8% दिहाड़ी मजदूरी में हैं। 2022-23 के मुकाबले स्वरोजगार वाले 1.1% और नौकरीपेशा 0.8% बढ़े, जबकि दिहाड़ी मजदूरी वाले 2% तक घट गए।
काम करने वालों में सबसे ज्यादा 46% लोग कृषि, 12.2% ट्रेड, होटल और रेस्टोरेंट, 12% निर्माण और 11.4% मैन्युफैक्चरिंग में लगे हैं। 2022-23 के मुकाबले निर्माण में काम करने वाले सबसे ज्यादा 1% कम हुए।
15-29 साल वालों में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 10.2% रही है
देश में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग की बेरोजगारी दर में एक साल के दौरान मामूली इजाफा हुआ है। जुलाई 2022- जून 23 में 10% की तुलना में जुलाई 2023- जून 24 में यह 10.2% हो गई है। शहरी इलाकों में यह दर 15.7% से घटकर 14.7% हो गई है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 8% से बढ़कर 8.5% हो गई है।
नौकरीपेशा की औसत मासिक आय स्वरोजगार वालों से 7203 रुपए ज्यादा
अप्रैल से जून-2024 के दौरान स्वरोजगार के जरिए देश में औसतन मासिक आय 13,900 रुपए रही। वेतनभोगी कर्मियों का औसत मासिक वेतन सबसे ज्यादा 21,103 रु. है। दिहाड़ी मजदूर औसतन 433 रुपए रोजाना कमा रहे हैं।
इस हिसाब से देखें तो नौकरीपेशा लोग स्वरोजगार वालों से हर महीने 7203 रुपए ज्यादा कमा रहे। जबकि जुलाई-सितंबर 2023 में स्वरोजगार में मासिक आय 12,685 रुपए और वेतनभोगी में 20,095 रुपए थी।
दिहाड़ी मजदूर 404 रुपए रोजाना कमा रहे थे। 61.1% नियमित वेतनभोगी कर्मी बिना किसी लिखित कांट्रैक्ट के काम करते हैं, 52.2% को पेड लीव नहीं मिलती और 58.8% कर्मचारियों को पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन और मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं नहीं हैं।
आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल भारत में अगले साल मार्च तक 2 लाख डायरेक्ट जॉब देगी। इनमें से 70% जॉब महिलाओं के लिए होंगे। एपल और भारत में उसके सप्लायर्स ने ये आंकड़े केंद्र सरकार को दिए हैं।
दरअसल, एपल प्रोडक्शन के मामले में चीन पर निर्भरता कम कर भारत पर फोकस करना चाहता है। एपल के कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन (अब टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स) और पेगाट्रॉन ने भारत में पहले 80,872 लोगों को सीधी नौकरियां दी हुई हैं।
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