 
									Dakhal News
 30 October 2025
									30 October 2025
									 
								
								(प्रवीण कक्कड़)
साल का बदलना कैलेंडर में एक तारीख का बदलना ही तो है। दिसंबर का जनवरी में तब्दील होना ही तो है। 12 माह के चक्र का पूरा होना ही तो है। वही सूरज का उगना, वही नया दिन। वही सुबह, वही शाम और वही रात। किंतु ऐसा नहीं है। नए वर्ष में कैलेंडर ही नहीं बदलता बल्कि बहुत कुछ ऐसा होता है जो बदल जाता है। नया वर्ष हम सभी की उम्र में एक वर्ष जोड़ देता है। हमारे अनुभव की पूंजी में 12 माह की वृद्धि कर देता है।
हमारे जीवन की गति को कुछ और तेज कर देता है। पूर्णाहुति की तरफ बढ़ रहे हमारे कदमों को अपनी मंजिल के कुछ और निकट ला देता है। इसलिए नया वर्ष जब आता है तो नए वर्ष का उगता सूरज हमें नए संकल्पों और नई ऊर्जा से सराबोर कर देता है। भारतीय वांग्मय में सूर्य की गति के अनुसार नए वर्ष के दिन और महीने तय किए जाते हैं। इसलिए भारतीय नववर्ष अंग्रेजी कैलेंडर से थोड़ा बाद में आता है या यूं कहें कि कुछ माह पहले आ जाता है।
किंतु समय का चक्र तो वही है। चाहे दिसंबर के बाद जनवरी के रूप में आए या फिर अप्रैल (गुड़ी पड़वा)में हिंदू नव वर्ष के रूप में। जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र मास की नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से होती है। लेकिन हमारे देश के सारे महत्वपूर्ण कार्य अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ही चलते हैं। इसलिए जितना नवसंवत्सर का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्व पर उतना ही लौकिक दृष्टि से जनवरी माह से प्रारंभ नव वर्ष का महत्व है।
इसलिए इस नए वर्ष का आगाज सकारात्मकता के साथ करें। पुराने वर्ष की असफलता, दुख, नुकसान प्रियजन के बिछड़ने, कैरियर और व्यापार में घाटा होने, किसी से रिश्ता टूटने जैसे दुखों को भूल जाएं। बीते हुए वर्ष में जो कुछ पाया है उसकी खुशियां मनाते हुए नए साल का स्वागत करें। क्योंकि नया साल जीवन के बढ़ने का प्रतीक है। यह बीता हुआ समय हमें हर पल इस बात का स्मरण दिलाता है कि कोई भी परेशानी या सुख स्थाई नहीं है। परेशानी आती है तो जाती है और सुख भी आता है तो जाता भी है। आपका निष्काम कर्म योग ही आपके सुख की गारंटी है। नए वर्ष का केवल एक ही संकल्प है पुराने वर्ष की नकारात्मकता को भूलना और सकारात्मकता को याद रखना। बहुत से देशों में नए वर्ष पर पुराने बर्तनों को तोड़ने का रिवाज है। इसके पीछे भी यही तर्क है कि जो कुछ पुराना है और नकारात्मक है उसे भूल जाएं।
'नव गति, नव लय, ताल छंद नव, नवल कंठ नव जलद मंद्र रव। नव नभ के नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे।।'
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की इन पंक्तियों की तरह ही हमें अपने जीवन में नई सोच, नई उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ना है। उम्मीद है कि वर्ष 2023 हम सबको कुछ नया कर गुजरने के लिए उत्साहित करेगा। नए वर्ष में आप सभी को सुख शांति और समृद्धि मिले। नए वर्ष की यही शुभकामनाएं है और यही संकल्प है।
 
							
							
							
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 1 January 2023
								1 January 2023
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