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दिल्ली हाई कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के खिलाफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक के माध्यम से तैयार की गए सभी कंटेंट को हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अमित बंसल द्वारा पारित किया गया।
अंतरिम आदेश पर अदालत का फैसला
यह अंतरिम आदेश रजत शर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ज्ञात और अज्ञात व्यक्ति उनके नाम, छवि, फोटो, वीडियो और अन्य पहचान व प्रचार अधिकारों का दुरुपयोग और उल्लंघन कर रहे हैं। शर्मा ने यह भी कहा कि इस मामले में उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क का भी उल्लंघन किया जा रहा है।
याचिका में लगाए गए आरोप
याचिका में रजत शर्मा ने कहा कि विवादित कंटेंट को प्रचारित किया जा रहा है ताकि मधुमेह, प्रोस्टेट की समस्या और जोड़ों के दर्द के लिए कथित दवाओं को बढ़ावा दिया जा सके। इन दवाओं को कुछ प्रतिष्ठित डॉक्टरों द्वारा तैयार किया गया बताया गया है या इसे सरकार द्वारा प्रमाणित दावा किया गया है। इसके साथ ही, यह सामग्री शर्मा के स्वास्थ्य सुझावों के रूप में प्रचारित की जा रही है, जिसमें अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व जैसे अमिताभ बच्चन और डॉ. नरेश त्रेहन के नाम भी जोड़े गए हैं। यह सब उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव का डर
रजत शर्मा ने कहा कि उनके नाम और छवि का इस तरह दुरुपयोग लोगों को गलत स्वास्थ्य संबंधी दावों की ओर प्रेरित कर सकता है, जिससे कई व्यक्तियों की सेहत और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यह झूठे दावों को बढ़ावा देकर गंभीर नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है।
स्थायी रोक की मांग
रजत शर्मा की याचिका में उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश फर्जी सामग्री और झूठे दावों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत देता है, जो डिजिटल युग में पहचान और प्रचार अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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