उप मुख्यमंत्री ने यूनिसेफ भोपाल कार्यालय में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण पर किया मंथन
bhopal, Deputy Chief Minister , UNICEF Bhopal office
भोपाल । उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि मातृ मृत्युदर और शिशु मृत्युदर में सुधार के लिए समाज और सरकार दोनों के साझा प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केवल स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार पर्याप्त नहीं है, स्वास्थ्य के प्रति सामाजिक चेतना को संस्कार के रूप में विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिये जन-सामान्य को प्रेरित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ किशोरी ही भविष्य में स्वस्थ माँ बनती है। किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य की नियमित जाँच, गर्भावस्था से पूर्व की तैयारियाँ, गर्भकालीन निगरानी और प्रसव पश्चात देखरेख अत्यंत आवश्यक है।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने मंगलवार को यूनिसेफ भोपाल कार्यालय में प्रदेश में स्वास्थ्य एवं पोषण विषयक पहलों की समीक्षा की और सुझाव प्राप्त किए। शुक्ल ने कहा कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक सुधार तभी संभव है जब जनमानस में स्वास्थ्य के प्रति चेतना जागे और यह सामाजिक संस्कृति का रूप ले। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केवल 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण हो रहा है और लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं नियमित एएनसी (एंटी-नेटल केयर) सेवाएं ले रही हैं। यह आँकड़े चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत पंजीकरण और देखरेख को हम सामाजिक आदत और उत्तरदायित्व के रूप में विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए हमें यह एक जन-संस्कृति बनानी होगी।

शुक्ल ने कहा कि इस दिशा में राज्य सरकार ने ‘मातृ-शिशु संजीवन मिशन’ और ‘अनमोल 2.0 पोर्टल’ पहल प्रारंभ की हैं, जो सभी गर्भवती महिलाओं का समय पर पंजीकरण और निगरानी सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, आशा, एएनएम, मैदानी स्वास्थ्य कर्ताओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

यूनिसेफ विशेषज्ञों ने बताया कि गंभीर कुपोषण (एसएएम) के प्रभावी समाधान से 6 माह से 5 वर्ष तक की आयु में होने वाली 68 प्रतिशत मृत्यु को रोका जा सकता है। नवजात देखरेख को सुदृढ़ करने से 70 प्रतिशत शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सकता है। गर्भवती महिलाओं का समय पर पंजीकरण आवश्यक है, इससे हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान और उपचार समय पर किया जा सके। इन सुझावों पर सहमति व्यक्त करते हुए उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि राज्य सरकार महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ समन्वय कर एकीकृत अंतर्विभागीय रणनीति के माध्यम से कुपोषण, मातृ और शिशु मृत्यु दर की चुनौती का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि समर्पित प्रयासों से मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाया जाएगा।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में संसाधनों की कमी नहीं है। स्वास्थ्य अधोसंरचना का विस्तार निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें केवल सुविधाएं नहीं देनी हैं, बल्कि उपयोग के प्रति नागरिकों को प्रेरित भी करना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर एक संगठित और समर्पित रणनीति पर कार्य किया जा रहा है, जिसमें जन-भागीदारी को विशेष महत्व दिया जा रहा है। बैठक में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल उपस्थित रहे। यूनिसेफ के ऑफिस इंचार्ज डॉ. अनिल गुलाटी एवं हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. प्रशांत कुमार ने राज्य में स्वास्थ्य सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए।

 

Dakhal News 13 May 2025

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