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21 November 2024राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा- देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं।
उन्होंने हिंदू धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा- जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को लेकर भी चिंता जताई। कहा- देश में परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। यह चिंता का विषय है।
संघ कैसे काम करता है, ये समझना जरूरी- भागवत
मोहन भागवत 5 दिन के अलवर प्रवास पर हैं। नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम के पहले दिन रविवार (15 सितंबर) को इंदिरा गांधी स्टेडियम में स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा- अगले साल संघ की स्थापना को 100 साल पूरे हो रहे हैं। संघ की कार्य पद्धति लंबे समय से चली आ रही है। हम कार्य करते हैं तो उसके पीछे विचार क्या है? यह हमें ठीक से समझ लेना चाहिए।
अपनी कृति के पीछे यह सोच हमेशा जागृत रहनी चाहिए। हमें देश को समर्थ करना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। हिंदू समाज इसका उत्तरदायी है।
संघ प्रमुख के भाषण की 5 बातें
1. हिंदू का मतलब विश्व का सबसे उदार मानव
राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और सामर्थ्यवान बनाने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की आवश्यकता है। हमें समर्थ बनना है। इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब सब कुछ स्वीकार करने वाला। सबके प्रति सद्भावना रखने वाला। जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है।
2. छुआछूत को लेकर मन बदलना होगा
हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए हैं। इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा। हमें इस भाव को पूरी तरह मिटा देना है, जहां संघ का काम प्रभावी है। संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले होंगे। यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है।
3. संघ को अब विरोधी लोग भी मानने लगे हैं
पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सब जानते हैं। पहले संघ को कोई मानता नहीं था। आज सब लोग मानते हैं, जो हमारा विरोध करने वाले लोग हैं वह भी। होठों से तो हमारा विरोध करते हैं, लेकिन मन से तो मानते ही हैं। इसलिए अब हमें हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए करना है।
4. नई पीढ़ी संस्कार भूल रही
भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए हफ्ते में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठना चाहिए। अपनी श्रद्धा अनुसार घर में भजन-पूजन, उसके बाद घर में बनाया हुआ भोजन साथ में करें। समाज के लिए भी कुछ न कुछ करें। इसके लिए छोटे-छोटे संकल्प लें।
5. बाहर के देशों का सामान तभी खरीदें, जब जरूरी हो
अपने घर में स्वदेशी से लेकर स्व गौरव तक सारी बातें हैं। हमें उनके बारे में पता होना चाहिए। सबकुछ अपने देश में बनता है। वह बाहर देश का नहीं खरीदना, यदि जीवन के लिए जरूरी है तो अपनी शर्तों पर खरीदना। जीवन में कम खर्च को अपनाना होगा।
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16 September 2024
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