Patrakar Priyanshi Chaturvedi
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर लगी अंतरिम रोक को 22 जुलाई तक बढ़ा दिया है, जिसमें कन्नड़ न्यूज चैनल ‘पावर टीवी’ के पास उचित लाइसेंस न होने के आधार पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रसारण रोकने के आदेश दिया था।बता दें कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा पारित इसी आदेश पर रोक लगायी थी। इस आदेश में आरोप लगाया गया था कि न्यूज चैनल ने केबल टीवी नेटवर्क विनियमन अधिनियम का उल्लंघन किया है।केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि इस मामले पर दलीलें रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता विदेश में हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 जुलाई तक सुनवाई टालते हुए पावर टीवी का प्रसारण रोकने का आदेश देने के कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक 22 जुलाई तक बढ़ा दी। पावर टीवी ने जेडीएस नेताओं प्रज्वल और सूरज रेवन्ना के खिलाफ सेक्स स्कैंडल का वीडियो दिखाया था हालांकि इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने ‘पावर टीवी’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगायी। कोर्ट ने लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवेदनों के निपटारे तक ऐसे प्रतिबंधों के बारे में केंद्र से सवाल भी किया चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने डेटा पेश करें कि कितने चैनलों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था और इनमें से कितनों को प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया था। हम जानना चाहते हैं कि पिछले तीन सालों में नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले कितने टीवी चैनलों को मंजूरी मिलने तक प्रसारण बंद करने का आदेश दिया गया।” सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने जून में पावर टीवी के प्रसारण पर रोक लगायी थी। इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से चैनल के पास लाइसेंस न होने का हवाला दिया गया था। चैनल की अपलिंक और डाउनलिंक न्यूज की अनुमति 12 अक्टूबर, 2021 को समाप्त हो गई थी और रिन्यूअल आवेदन अभी भी लंबित था। 3 जुलाई को हाई कोर्ट की एक बेंच ने अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए अंतिम निर्णय केंद्र को सौंप दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ चैनल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त मूल्यांकन के बिना हाई कोर्ट के प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार को जमकर सुनाया।
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