Patrakar Priyanshi Chaturvedi
रामलला की मूर्ति बनाने वाले कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज और उनके परिवार का वीजा एप्लिकेशन अमेरिका ने रिजेक्ट कर दिया है। अमेरिकन एम्बेसी ने इसकी वजह नहीं बताई।
योगीराज को वर्जीनिया के रिचमंड में आयोजित विश्व कन्नड़ सम्मेलन में शामिल होना है। यह कार्यक्रम 30 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा। इसे कन्नड़ कूटस एसोसिएशन के द्वारा किया जा रहा है।
वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होने पर अरुण के परिवार ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अरुण की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। वीजा एप्लिकेशन रिजेक्ट होना हैरान करने वाली बात है।मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं अरुण
37 साल के अरुण मैसूर महल के कलाकारों के परिवार से आते हैं। उन्होंने 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया, फिर एक निजी कंपनी के लिए काम किया। फिर इस पेशे में आए। हालांकि, मूर्ति बनाने की तरफ उनका झुकाव बचपन से था। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।
अयोध्या में रामलला की प्रतिमा अरुण ने ही बनाई है
अयोध्या में 22 जनवरी को अरुण की बनाई रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे 2 दिन पहले 20 जनवरी को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई थी।लोगों ने अरुण योगीराज की खूब तारीफ की। योगीराज ने काले रंग के एक ही पत्थर से पूरी प्रतिमा बनाई। इस पत्थर को कहीं से जोड़ा नहीं गया।
अरुण की मां ने कहा था- चाहती थीं बेटा जॉब करे
अरुण योगीराज की मां सरस्वती योगीराज ने कहा था कि बेटे अरुण की स्कूलिंग मैसूर के GSS बाल जगत स्कूल से हुई। 12वीं की परीक्षा मरीमाला स्कूल से पास की, बीकॉम की डिग्री JSS कॉलेज से की थी। उसके बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से MBA किया। मैं चाहती थी कि वो भी 8 घंटे की कॉर्पोरेट जॉब करें, सूट-बूट पहनकर ऑफिस जाएं। मेरी इच्छा का मान रखने के लिए अरुण ने बेंगलुरु की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब भी किया था, लेकिन सिर्फ दो महीने में ही उसे छोड़कर शिल्पकला में वापस आ गया।
तुलसीदास की रामचरित मानस के बालकांड में भगवान राम के बाल स्वरूप का वर्णन है। उसमें राम के श्याम वर्ण, मुस्कान और शरीर के बाकी अंगों की सुंदर व्याख्या की गई है। अयोध्या के राम मंदिर में लगाए गए कृष्णशिला से बनी श्रीरामलला की मूर्ति बहुत हद तक वैसी ही है।
Dakhal News
|
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.
Created By:
Medha Innovation & Development |