आसाराम हो या हाथरस का बाबा, इनकी सबसे ज्यादा भक्त स्त्रियां ही होती हैं
biggest devotees are women

हाथरस के हादसे के बाद बाबाओं पर हमला शुरू हो गया। कुछ लोगों ने बाबाओं को फ्रॉड बताया, मज़मेबाज़ कहा। लेकिन तब तो हर तरह का मज़मेबाज़ एक बाबा ही हुआ। चाहे वह कपिल शर्मा हो या कोई राजनेता। भोले बाबा चूँकि जाटव बिरादरी से हैं इसलिए ब्राह्मण, ठाकुर, यादव पिल पड़े कि एक दलित बाबा कैसे बन गया। यदि बाबाओं की निंदा करनी है तो बागेश्वर से शुरू करो। ख़ैर बाबाओं की सभा में जुटती भीड़ पर सबसे अच्छा लिखा लक्ष्मी शर्मा ने। आप भी पढ़ें- “आसाराम हो, रामपाल या हाथरस का बाबा, इन की सबसे ज्यादा भक्त स्त्रियां ही होती हैं.इसके पीछे हमारे सामाजिक बन्धनों में जकड़ी स्त्रियों का मनोविज्ञान सबसे ज्यादा काम करता है घर में नौकरों की तरह काम, दोयम क्या अंतिम दर्जे का स्थान, वजह-बेवजह अपमान और सौ-सौ बंदिशों में घुट रही स्त्री के लिए बाबा की संगति वो स्पेस है जहाँ वे मुक्त और स्वायत्त अनुभव करती हैं. एक मर्द जिसके साथ मुक्त भाव से हँस-गा लेती हैं, लोक-लाज के डर से बरी उन्मुक्त भाव से नाच लेती हैं. इस भय से भी मुक्त कि कोई उन्हें फ्लर्ट करता है और वे भी खुले-खिले दिल से किसी को चार्म करती हैं, बिना परिजनों के डर के.कि बाबा ही सही एक मर्द है जो उन्हें सुंदर कहता है, अच्छी कहता है, उनकी बात सखा भाव से सुनता है. उन्हें रिजेक्ट करने या झिड़कने की बजाय प्रेम से अपनाता है. उन्हें प्रेम के बन्धन में बंधने की जगह प्रेम में मुक्ति की राह दिखाता है.दुनिया भर के बाबाओं की फेन फॉलोइंग का ये एक कड़वा लेकिन बहुत बड़ा सच है. हमारी सामाजिक जकड़नों से उपजी विसंगतियों का सच.”

Dakhal News 4 July 2024

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