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भोपाल। खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर मध्य प्रदेश में जमकर राजनीति हो रही है। इस मामले को लेकर दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस के नेता जहां सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं अब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) भी मैदान में कूद गई है। खरगोन हिंसा को लेकर माकपा ने शिवराज सरकार पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा कर सत्ता में बने रहने का आरोप लगाया है।
पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने रविवार को जारी बयान में कहा है कि साम्प्रदायिक तनाव के सात दिन बाद भी जन प्रतिनिधियों, राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं को खरगोन जाने और प्रभावित पक्षों से बात करने से रोका जा रहा है। यह सिर्फ प्रशासन और सरकार की तानाशाहीपूर्ण हरकतों का ही प्रमाण नहीं है, बल्कि यह भी साफ होता है कि सरकार अपने अपराधों को छिपाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने यदि निष्पक्षता और पारदर्शी ढंग से विवाद को नियंत्रित करने की कोशिश की है तो फिर वह जनप्रतिनिधियों को खरगोन जाने से क्यों रोक रही है?
माकपा नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि खरगोन जाने वाले लोग समाज के जिम्मेदार नागरिक हैं, जो वहां पहुंचकर प्रभावितों से मिलकर समाज में अविश्वास की खाई को खत्म करने की कोशिश करेंगे, लेकिन शिवराज सिंह चौहान सरकार की दिलचस्पी शांति या साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित करना नहीं, बल्कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा कर सत्ता को बनाए रखने में है। उन्होंने प्रदेश के सभी धर्मनिरपेक्ष दलों, सामाजिक संगठनों से एकजुट होकर शिवराज सरकार की साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की साजिशों को नाकाम करने की अपील की है।
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