Patrakar Priyanshi Chaturvedi
अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा को लेकर देशभर में विरोध और चिंता बढ़ गई है। पर्यावरण प्रेमियों और आम लोगों का कहना है कि इससे अरावली की प्राकृतिक हिफाजत खतरे में पड़ सकती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बड़े पैमाने पर खनन की अनुमति देने के लिए अरावली की परिभाषा में बदलाव किया गया। केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए साफ कहा कि 98% अरावली सुरक्षित है और किसी भी नए खनन पट्टे पर रोक लगा दी गई है।
अरावली विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई में तीन जजों की बेंच सोमवार, 29 दिसंबर को मामले की सुनवाई करेगी। केंद्र सरकार ने आईसीएफआरई को अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान करने और पुराने खनन क्षेत्रों में कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसका लक्ष्य अनियमित माइनिंग को रोकना और अरावली की अखंडता बचाना है।
अरावली दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो करीब 700 किमी लंबी है और दिल्ली-एनसीआर को थार रेगिस्तान की धूल और मरुस्थलीकरण से बचाती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नई 100 मीटर ऊंचाई वाली परिभाषा के कारण अरावली का 90% हिस्सा खतरे में पड़ सकता है। हालांकि सरकार का दावा है कि अरावली सुरक्षित है, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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