Patrakar Priyanshi Chaturvedi
शिमला। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के नवंबर माह के ड्रग अलर्ट में देश में बनी 205 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता जांच में फेल पाए गए हैं। इनमें से 47 दवाएं हिमाचल प्रदेश में निर्मित पाई गईं। ये दवाएं बुखार, शुगर, हृदय रोग, मिर्गी, संक्रमण और पेट से जुड़ी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने के कारण इन्हें ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी’ (NSQ) घोषित किया गया है।
CDSCO के अनुसार हिमाचल में बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, सोलन, कालाअंब, पांवटा साहिब और ऊना की फार्मा इकाइयों में बनी दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इनमें से 35 सैंपल राज्य की प्रयोगशालाओं और 12 सैंपल केंद्रीय प्रयोगशालाओं में फेल पाए गए। सबसे ज्यादा पांच सैंपल सिरमौर जिले के कालाअंब स्थित एक कंपनी के बताए गए हैं। सोलन जिले की 28, सिरमौर की 18 और ऊना की एक कंपनी की दवाएं जांच में असफल रही हैं।
फेल दवाओं की सूची में पैरासिटामोल, मेटफॉर्मिन, क्लोपिडोग्रेल, एस्पिरिन, रेमिप्रिल, सोडियम वैल्प्रोएट, टेलमीसार्टन, क्लेरिथ्रोमाइसिन और जेंटामाइसिन इंजेक्शन जैसी अहम दवाएं शामिल हैं। हिमाचल के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि सभी संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किए जाएंगे और बाजार में इन दवाओं की सप्लाई पर रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि लगातार दवाओं के सैंपल फेल होना मरीजों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है। ड्रग अलर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों में भी उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, सिक्किम और पुडुचेरी में बड़ी संख्या में दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल पाई गई हैं।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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