नागरिक की स्वतंत्रता पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
New Dehli , Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिक की आजादी राज्य की देन नहीं, बल्कि यह उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पासपोर्ट रिन्यू के दौरान पासपोर्ट अथॉरिटी किसी व्यक्ति से उसकी भविष्य की यात्रा योजना या वीजा संबंधी जानकारी नहीं मांग सकती। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने कहा कि प्रशासन का काम नागरिकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है, न कि उसे अनावश्यक शर्तों में बांधना।

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारी को केवल यह देखना होता है कि किसी आपराधिक मामले के बावजूद संबंधित अदालत ने व्यक्ति की विदेश यात्रा की संभावना खुली रखी है या नहीं। अगर अदालत ने पासपोर्ट रिन्यू की अनुमति दे दी है, तो उसे जारी किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही हर विदेश यात्रा के लिए कोर्ट की अनुमति ली जा सकती है, लेकिन इस आधार पर पासपोर्ट रिन्यू रोका नहीं जा सकता।

 

 

 

यह फैसला कोयला घोटाले से जुड़े मामले में महेश कुमार अग्रवाल की याचिका पर सुनाया गया। अग्रवाल का पासपोर्ट 2023 में एक्सपायर हो गया था। रांची की NIA कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके पासपोर्ट रिन्यू पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी, केवल विदेश यात्रा से पहले कोर्ट की अनुमति लेने की शर्त रखी गई थी। इसके बावजूद पासपोर्ट अथॉरिटी ने रिन्यू से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए पासपोर्ट अथॉरिटी को अग्रवाल का पासपोर्ट तुरंत रिन्यू करने का निर्देश दिया।

Priyanshi Chaturvedi 20 December 2025

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.