Patrakar Priyanshi Chaturvedi
राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच दिल्ली सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कोयले और लकड़ी से चलने वाले तंदूरों पर प्रतिबंध लगा दिया है। नान, तंदूरी रोटी, सोया चाप और रोस्टेड चिकन जैसे लोकप्रिय फूड आइटम्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले तंदूर अब प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई के दायरे में आ गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने शहर के सभी होटल, रेस्टोरेंट और खुले खाने की जगहों पर ऐसे तंदूरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं।
लगातार खराब होती हवा की गुणवत्ता को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता विपक्ष के निशाने पर हैं। विपक्ष का आरोप है कि प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार के पास ठोस समाधान नहीं हैं और वह अजीबोगरीब फैसलों के जरिए जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री के बयानों और अपनाई जा रही तकनीकों को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसके चलते तंदूर बैन को प्रतीकात्मक और अव्यावहारिक कदम बताया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि आनंद विहार और ITO जैसे इलाकों में AQI करीब 400 दर्ज होने के बाद यह फैसला लिया गया। खराब हालात को देखते हुए दिल्ली-NCR में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का स्टेज-IV लागू किया गया है। एयर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1981 के तहत जारी इस आदेश का मकसद ‘गंभीर+’ श्रेणी में पहुंच चुकी हवा की गुणवत्ता को नियंत्रित करना है, हालांकि इसके असर और व्यवहारिकता पर बहस तेज हो गई है।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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