Patrakar Priyanshi Chaturvedi
केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त कर उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन–ग्रामीण (VB G-RAM-G)’ लाने की तैयारी में है। नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 की बजाय 125 दिन का रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही मजदूरी भुगतान की अवधि 15 दिन से घटाकर 7 दिन करने और फसल की बुआई व कटाई के समय लगभग दो माह का विशेष ब्रेक देने की व्यवस्था प्रस्तावित है।
सरकार का दावा है कि यह बदलाव ‘विकसित भारत–2047’ के लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। नए बिल में पंचायतों को योजना निर्माण में प्रमुख भूमिका, डिजिटल सिस्टम से योजनाओं को जोड़ने, जल संरक्षण से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने जैसे प्रावधान शामिल हैं। सरकार का कहना है कि बदले हुए सामाजिक-आर्थिक हालात में यह नया ढांचा ग्रामीण आय बढ़ाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मददगार होगा।
हालांकि, नए फंडिंग पैटर्न को लेकर विवाद भी सामने आया है। जहां मनरेगा में मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र उठाता था, वहीं VB G-RAM-G में राज्यों का हिस्सा बढ़ाकर 40 फीसदी करने का प्रस्ताव है, जिस पर कुछ राज्यों और विपक्ष ने आपत्ति जताई है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे काम के कानूनी अधिकार को कमजोर करने वाला कदम बताया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह सुधार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को अधिक प्रभावी और टिकाऊ बनाएगा।
Patrakar Priyanshi Chaturvedi
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