Patrakar Priyanshi Chaturvedi
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है। चालू वित्त वर्ष की (अप्रैल-जून) पहली तिमाही में यह वृद्धि दर 7.8 फीसदी थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के जारी आंकड़ों में बताया कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की (जुलाई-सितंबर) दूसरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो पिछली छह तिमाहियों में सर्वाधिक है। पहली तिमाही में यह 7.8 फीसदी रही थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की समान तिमाही में यह 5.6 फीसदी थी।
एनएसओ के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगार तीसरी तिमाही में शानदार प्रदर्शन जारी रखा है। यह छह तिमाहियों में सबसे ज्यादा 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.8 फीसदी थी। आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का 14 फीसदी है, दूसरी तिमाही में 9.1 फीसदी बढ़ा है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 की इसी तिमाही में यह 2.2 फीसदी था। विनिर्माण क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग 14 फीसदी का योगदान देता है।
वहीं, चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत का राजकोषीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये रहा। यह वार्षिक अनुमानों का 52.6 फीसदी है। इस बार राजकोषीय घाटा पिछले वर्ष के 46.5 फीसदी से अधिक है। सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी तक कम करना है, यह एक साल पहले 4.8 फीसदी था।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती और उपभोक्ता मांग में तेजी के कारण कारखानों ने उत्पादन बढ़ाया, जिससे समग्र विकास दर में तेजी आई है।
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