अमित शाह बोले-साइंटिफिक डाटा बताता है बिहार के युवाओं का आईक्यू दुनिया में सबसे ज्यादा
पटना । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के युवाओं की बुद्धिमत्ता की तारीफ करते हुए बड़ा बयान दिया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि साइंटिफिक डाटा के आधार पर मैं कह सकता हूं कि बिहार के युवा का आईक्यू करीब-करीब दुनिया में सबसे ज्यादा है।
शाह ने कहा कि बिहार ने हमेशा देश को नेतृत्व देने वाले लोग दिए हैं। चाहे राजनीति हो, प्रशासन हो या शिक्षा का क्षेत्र। उन्होंने कहा कि अगर देश के किसी राज्य ने सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस और डॉक्टर-इंजीनियर पैदा किए हैं तो वह बिहार है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि बिहार के युवाओं में संघर्ष की क्षमता और सीखने की भूख दोनों असाधारण हैं। उन्होंने इसे बिहार की मिट्टी और पारिवारिक संस्कार से जुड़ा बताया।
गृह मंत्री शाह ने कहा कि यहां का हर बच्चा हालात से लड़ना जानता है और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। राजनीतिक हलकों में शाह का यह बयान चर्चा का विषय बन गया है। एनडीए खेमे के नेता इसे बिहार के सम्मान से जोड़ रहे हैं। जबकि विपक्षी दल इसे चुनावी मौसम में युवाओं को लुभाने की कोशिश बता रहे हैं।
जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमित शाह ने जो कहा, वह सच है। बिहार के युवाओं की मेधा किसी से कम नहीं। वहीं, राजदी के प्रवक्ता ने तंज करते हुए कहा कि अगर भाजपा को बिहार के युवाओं की इतनी परवाह है तो रोजगार देने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
बिहार के युवा कमलेश, मिथलेश, अजीत, नीरज,अतुल्य जैसे अन्य युवाओं ने शाह के बयान को गर्व से लिया है। सोशल मीडिया पर कई युवाओं ने लिखा कि अमित शाह ने जो कहा, वह हर बिहारी के दिल की बात है। हमें बस मौका चाहिए, बिहार के युवा देश ही नहीं, दुनिया बदल सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शाह का यह बयान बिहार की बौद्धिक विरासत को पहचान देने वाला है।
समाजशास्त्री रंगनाथ तिवारी का मानना है कि यह बात सही है कि बिहार का सामाजिक ढांचा बच्चों को जल्दी परिपक्व बना देता है। कठिनाइयों में जीकर सीखने की प्रवृत्ति उन्हें मानसिक रूप से मजबूत और विश्लेषणात्मक बनाती है।
अमित शाह का यह बयान ऐसे समय आया है, जब बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और युवा वोटरों की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र मानते हैं कि यह टिप्पणी न केवल प्रशंसा है, बल्कि युवाओं को संदेश देने की रणनीति भी हो सकती है कि देश की राजनीति में उनका योगदान सबसे अहम है। अमित शाह का यह बयान बिहार के आत्मगौरव को बढ़ाने वाला है। चाहे इसे चुनावी बयान कहा जाए या सच्चाई की स्वीकृति। बात यही है कि बिहार के युवाओं की बुद्धिमत्ता और संघर्षशीलता पर अब राष्ट्रीय मुहर लग गई है।