उमा भारती ने कहा- 2029 लोकसभा चुनाव झांसी से ही लडूंगी
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भोपाल । मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने राजनीतिक भविष्य को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने चुनाव लड़ने की बात दोहराते हुए कहा है कि मैं 2029 का चुनाव झांसी से ही लड़ूंगी। मेरी इच्छा लोकसभा चुनाव लड़ने की ही है। पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ूंगी, मना नहीं करूंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे राजनीति में सक्रिय हैं और गाय व गंगा से जुड़ा कार्य केवल धार्मिक या सामाजिक सेवा के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में कर रही हैं।
 
उमा भारती ने बुधवार को अपने निवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि गत 18 अक्टूबर को टीकमगढ़ से ललितपुर ट्रेन पकड़ने के लिए जब मैं आई तो ललितपुर स्टेशन पर मुझे ललितपुर और झांसी दोनों जिलों के भाजपा के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मिले और बातें कर रहे थे तो मैंने सहज भाव से कह दिया कि मैं 2029 का चुनाव झांसी से लडूंगी। मैं इस पर कायम हूं कि मैंने ऐसा कहा है किंतु इसमें दो बातें जरूरी हैं, पार्टी मुझे 2029 का लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए कहे एवं वर्तमान सांसद अनुराग शर्मा को इसमें परेशानी न हो, यही मेरा पूरा वक्तव्य है।
 
उन्होंने कहा कि मैं हाशिए पर नहीं हूं। गाय और गंगा, यह कार्य दिल से कर कर रही हूं। मैं जो कार्य कर रही हूं, वह राजनीति का ही एक रूप है-जनहित से जुड़ा हुआ। इसके अलावा मेरी कोई और रुचि नहीं है। उन्होंने “वन नेशन, वन इलेक्शन” की अवधारणा का समर्थन करते हुए कहा कि सभी चुनाव 45 दिनों के भीतर संपन्न हों, ताकि शासन के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर कोई असर न पड़े। उन्होंने स्मरण कराया कि एक समय उन्होंने कन्याकुमारी से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई थी, लेकिन अब झांसी ही उनका केंद्र रहेगा। उमा भारती ने कहा कि राजनीति में पद पाने के लिए शातिर होना पड़ता है, लेकिन मैं सहज और सरल रहना पसंद करती हूं।
 
उमा भारती ने कहा कि गोपाष्टमी पर 29 अक्टूबर को गो-संवर्धन अभियान का शुभारंभ करूंगी। यह अभियान डेढ़ साल तक चलेगा। इसके लिए ग्राम पंचायतों से सहयोग लिया जाएगा। इससे किसानों को जोड़ा जाएगा। गोपाष्टमी पर किसान गौ संवर्धन कार्यक्रम शुरू करने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत राजधानी के अयोध्या बायपास स्थित दशहरा मैदान में होगी और यह कार्यक्रम डेढ़ साल तक चलेगा। गौ संवर्धन के लिए गांव में जगह तय करनी होगी। ग्राम पंचायतों का भी सहयोग लिया जाएगा। गौपालन के लिए पंचायत को मिलने वाली राशि से चरवाहे की भी सेवा ली जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना की हितग्राही महिलाओं को दो-दो गाय देनी चाहिए। इससे गायों का जीवन बचेगा। साथ ही सरकारी योजनाओं के अन्य लाभार्थी के लिए गौ पालन की भी अनिवार्यता तय करनी होगी। इस काम में सरकार का पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार हूं। गायों के सड़कों पर आने और एक्सीडेंट में मारे जाने के सवाल पर उमा भारती ने कहा कि अमेरिका में सड़क के किनारे फेंसिंग होती है। यहां भी इस तरह का नियम है। इसका पालन किया जाना चाहिए। फेंसिंग को बजट का हिस्सा बनाना होगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इसको लेकर बात की है तो उन्होंने कहा कि इसका प्रोविजन है और इसे लागू कराएंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हाईवे के किनारे सर्विस रोड भी होना चाहिए।
 
सरकारों द्वारा गौ पालन को लेकर किए गए प्रयास सफल नहीं होने के मामले में उमा भारती ने कहा कि यह काम 1966 से शुरू हुआ था। करपात्री महाराज ने गौपालन के लिए आह्वान किया था। वर्ष 2016 में भी साधु संतों ने भी इसका प्रयास किया गया था। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें सरकार को ही करने देना चाहिए। गाय का मामला समाज को ही करने देना चाहिए। किसान गौ पालन करे और उसे क्या अड़चन आ रही है, इसे सरकार को दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक चार्टर भी बना रहे हैं।
 
उमा भारती ने कहा कि चार नवम्बर को कार्तिक चतुर्दशी है। इसी दिन गंगा सफाई का कार्यक्रम तय किया है। उन्होंने कहा कि 50 करोड़ लोगों ने गंगा में स्नान किया है लेकिन क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं है कि वे गंगा को साफ करने के लिए काम करें। सभी भाषाओं के सभी राज्यों के लोगों के इसके लिए बुलाया गया है और 4 नवम्बर को सभी गंगा को स्वच्छ रखने के लिए एकत्र होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शराब बंदी को ठीक से लागू किया जाना चाहिए। दुकानें ऐसी खुलें कि लोग ठीक से खोल ही न पाएं। जो पीते हैं उन्हें घर के लोग पकड़ लें। धीरे-धीरे इसमें सुधार आ जाएगा।
 
राजनेताओं को शास्त्र मर्मज्ञ नहीं बनना चाहिए
मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा भगवान कृष्ण का नाम गोपाल न रखने संबंधी वक्तव्य को लेकर किए सवाल पर उमा भारती ने कहा कि कृष्ण का जो नाम गोपाल है वह सभी की जुबान है। इसलिए राजनेताओं से कहती हूं कि शास्त्र मर्मज्ञ मत बनो। गोपाल नाम बहुत पुराना है। राजनेताओं को इस तरह से बोलने से परहेज करना चाहिए। मोहन यादव वास्तव में गोपाल ही हैं, बहुत सहज हैं। माखनचोर बोलने पर रोक संबंधी मोहन यादव के वक्तव्य को लेकर कहा कि इसका उल्लेख तो श्रीमद भागवत में भी है। इसलिए ऐसे नहीं बोलना चाहिए। सब लोग बहुत चतुर और शातिर नहीं होते। राजनीति में जितने शातिर होते हैं, वह उनमें नहीं है।
 
Dakhal News 23 October 2025

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