दो दशक बाद छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में लोग आतिशबाजी के साथ मना सकेंगे दीपावली
dantewada,After two decades, people in Chhattisgarh
दंतेवाड़ा । छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में अब दो दशक बाद आतिशबाजी के साथ दीपावली मनाई जाएगी। यहां अबूझमाड़ इलाके में नक्सलियों ने अभी तक आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा रखा था। यहां पटाखों का इस्तेमाल नक्सली एक-दूसरे को सूचना पहुंचाने के लिए करते आए थे।
 
शुक्रवार को जगदलपुर में माड़ डिविजन के सभी नक्सलियाें के आत्मसमर्पण कर देने के बाद ग्राम गोड़सा, निराम, पालेवाया, कौशलनार, पीडियाकोट, पहुरनार, मंगनार जैसे गांवों में पटाखों पर लगा प्रतिबंध अब बेमायने हो गया है। इलाके से नक्सलवाद का पूरी तरह खात्मा होने के बाद ग्रामीण 2 दशक में पहली बार पटाखे फोड़कर दीपावली मनाने की तैयारी कर रहे हैं। नक्सलियों के पीछे हटने पर ग्रामीणों का कहना था कि अब उनके गांवों में बिजली-सड़क और अन्य सुविधाएं पहुंच सकेंगी। नक्सलियों को पहले हर बात पर चंदा देना पड़ता था, वह भी अब बंद हो जाएगा। 20-20 किमी दूर से पीडीएस का राशन लाना पड़ता था, उसमें भी नक्सलियों को हिस्सा देना पड़ता था। तेंदूपत्ता और मनरेगा मजदूरी तक में उनकी हिस्सेदारी तय थी। बाइक-ट्रैक्टर का सालाना शुल्क तक वसूला जाता था। ये सब अब बंद हो जाएगा।

 

गौरतलब है कि सलवा जुडुम के दाैरान अबूझमाड़ से लगभग 200 परिवारों को कसोली राहत शिविरों में विस्थापित किया गया था। विगत 2 दशकों से यहां रह रहे परिवार नक्सलवाद के खात्मे की बाट जोह रहे थे। अब इस बड़े आत्मसमर्पण के बाद राहत शिविरों में रह रहे लोगों को अपनी मिट्टी में वापस लौटने की खुशी है। पिछले साल भी सुकमा जिले के जगरगुंडा के राहत शिविरों में तार बाड़ी के घेरे में रह रहे परिवार वापस अपने गांव लौटे थे। ऐसे में कसोली राहत शिविर में रह रहे लोगों में भी वापसी की उम्मीद बढ़ गई है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों में है। कई परिवार तो यहां 2005 से रहे रहे हैं।

 

शुक्रवार को जगदलपुर में जब 210 नक्सलियाें का आत्मसमर्पण हो रहा था तो उस दाैरान ग्रामीणाें से स्थानीय पत्रकाराें ने चर्चा की कि नक्सलियाें का खाैफ अब भी बरकरार है। इस बारे में ग्रामीण अब भी खुलकर कुछ भी बताने में डरते हैं।  उनका मानना है कि सलवा जुडूम के दाैरान वे बड़ी संख्या में ग्रामीणाें के मारे जाने का मंजर काे नही भूल पाये हैं। इसीलिए हमने भी ग्रामीणाें के सुरक्षा की दृष्टिकाेंण से ग्रामीणाें के बदले हुए नाम का उल्लेख करते हुए उनसे हुई चर्चा काे रख रहे हैं।
 
अबूझमाड़ के ग्राम पीडियाकोट के बुटकीराम का कहना है कि उन्हें इसकी सूचना मिली है, अब वे भी अपने गांव लौट पाएंगे। अबूझमाड़ के निराम गांव की मंगली ने बताया, गांव में खेती-बाड़ी सब है। गांव छोड़ने के बाद नक्सलियों ने उनके खेत अपने साथियों में बांट दिए थे, अब उन्हें उनकी जमीन वापस मिलेगी। अबूझमाड़ के जगन मंडावी का कहना है कि उनके पास 5 एकड़ खेत हैं, अगले एक महीने माहौल देखने के बाद ही वे वापस जाने के बारे में फैसला लेंगे।

 

Dakhal News 18 October 2025

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.