छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 210 इनामी नक्सली कैडर मुख्यधारा में लौटे
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जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम के समक्ष उपस्थित होकर 210 इनामी नक्सली कैडर मुख्यधारा में लौटे और अपने 153 हथियार पुलिस को सौंपे। आत्मसमर्पित करने वाले नक्सली कैडरों में एक करोड़
से पांच लाख तक के इनामी शामिल हैं। 
 
छत्तीसगढ़ सरकार की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति तथा पुलिस, सुरक्षाबलों, स्थानीय प्रशासन और अन्य हितधारकों के प्रयासों की ऐतिहासिक उपलब्धि के तहत आज अधिकारिक ताैर पर दण्डकारण्य क्षेत्र के कुल 210 इनामी नक्सली कैडर जिनमें एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, 4 डीकेएसजेडसी सदस्य 21 डिविजनल कमेटी सदस्य तथा अन्य वरिष्ठ नक्सली कैडर शामिल हैं। उन्होंने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा में वापसी की। इस निर्णायक और ऐतिहासिक घटनाक्रम से क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में नक्सली कैडरों के सबसे बड़े सामूहिक पुनर्समावेशन के रूप में दर्ज होगी। शीर्ष नक्सली कैडर सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, डीकेएसजेडस रनीता, डीकेएसजेडस राजू सलाम, डीकेएसजेडस धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम समेत कुल 210 इनामी नक्सली कैडर मुख्यधारा में लौट आए हैं।
 
नक्सली कैडरों ने कुल 153 हथियार समर्पित कर हिंसा और हथियारबंद संघर्ष से अपने जुड़ाव का प्रतीकात्मक अंत किया है। नक्सलियों द्वारा पुलिस के समक्ष सौंपे गए हथियारों में 19-एके 47, 1 यूबीजीएल, 23 इंसास, इंसास एलएमजी 01 नग, 17 एसएलआर , बीजीएल लॉन्चर 11 नग,4 कार्बाइन, 12 बोर/सिंगल शॉट 41 नग, पिस्टल 01, 303 राइफल 36 नग और अन्य भरमार बंदूक शामिल हैं। यह शांति और मुख्यधारा की ओर उनके नए सफर की ऐतिहासिक शुरुआत है।
 
नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में नक्सली कैडरों ने सामूहिक रूप से अपने हथियार समर्पित किए हैं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और विश्वास परिवर्तन की नींव बने हैं। यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण केंद्र एवं राज्य सरकार के मार्गदर्शन में पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन तथा सजग एवं जागरूक समाज के समन्वित और सतत प्रयासों का परिणाम है। शांति, संवाद और विकास पर कैद्रित निरंतर प्रयासों ने अनेक कैडरों को हिंसा त्यागकर कानून और समाज की मर्यादा में सम्मानजनक, शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया है।
 
इस अवसर पर डीजीपी अरुण देव गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि पूना मारगेम का उद्देश्य केवल नक्सलवाद से दूरी बनाना नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देना है। जो आज मुख्यधारा में लौटे हैं, वे समाज में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे। उन्होंने आत्मसमर्पित नक्सलियों से कहा कि वे अब अपने अनुभव और ऊर्जा को समाज निर्माण में लगाएं, ताकि बस्तर का भविष्य उज्ज्वल हो सके। कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग ने आत्मसमर्पित कैडर्स को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका से जुड़ी योजनाओं की जानकारी भी दी गई। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा के अवसर प्रदान कर रही है, जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा और संस्कृति हमेशा से प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है और जो साथी अब लौटे हैं, वे इस भावना को मजबूत करेंगे।
 
कार्यक्रम के अंत में आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी कैडर्स का स्वागत परंपरागत मांझी-चालकी द्वारा किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और प्रेम, शांति एवं नए जीवन के प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया। पुलिस बैंड द्वारा वंदे मातरम् की धुन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
 
इस अवसर पर नक्सल उन्मूलन प्रभारी एडीजी विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ के बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी. सहित कलेक्टर बस्तर हरिस एस, बस्तर संभाग के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक, पूर्व पुलिस अधीक्षक, नक्सल उन्मूलन गतिविधियों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की भी उपस्थिति रही।
Dakhal News 17 October 2025

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