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नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (एनएससीएन- के) और इसके सभी गुटों, शाखाओं तथा अग्रणी संगठनों को तत्काल प्रभाव से पांच वर्षों के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है।
गृह मंत्रालय ने सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा कि एनएससीएन (के) भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में शामिल रहा है। संगठन ने भारतीय संघ से अलग होकर भारत-म्यांमार क्षेत्र के नगा आबादी वाले क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक अलग संप्रभु नगालैंड बनाने का लक्ष्य घोषित किया है तथा उल्फा (आई), पीआरईपीएके और पीएलए जैसे अन्य गैरकानूनी संगठनों से गठजोड़ किया। व्यापारियों, सरकारी अधिकारियों और अन्य नागरिकों से फिरौती और जबरन धन वसूली के लिए अपहरण में संलिप्तता की हुई है। अवैध हथियार और गोला बारूद रखे हैं। हथियार और अन्य सहायता प्राप्त करने के लिए अन्य देशों में भारत विरोधी ताकतों से सहायता प्राप्त की हुई है।
अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2020 से 2025 के बीच संगठन के खिलाफ 71 मामले दर्ज हुए, 85 कैडर गिरफ्तार किए गए और 69 ने आत्मसमर्पण किया। इस दौरान बड़ी संख्या में हथियार, कारतूस, ग्रेनेड और विस्फोटक बरामद हुए। केंद्र सरकार का मत है कि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग) की तमाम गैरकानूनी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए उसके सभी गुटों, शाखाओं और अग्रणी संगठनों के साथ 28 सितंबर से तत्काल प्रभाव से विधिविरुद्ध घोषित करना आवश्यक हो जाता है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से पांच वर्ष के लिए प्रभावी होगा।
मगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश सरकारों की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया। सरकार का मानना है कि यदि संगठन को तत्काल नहीं रोका गया तो यह फिर से संगठित होकर अपने राष्ट्रविरोधी अभियान को तेज कर सकता है।
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