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भोपाल । उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के केन्द्रित एवं समन्वित प्रयास अब ठोस परिणाम दे रहे हैं। मध्य प्रदेश मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में सही मार्ग पर है। हम स्वास्थ्य अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण, मैनपावर की वृद्धि, बेहतर लक्ष्यीकरण, सतत् मॉनिटरिंग और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान के माध्यम से आगामी वर्षों में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने शुक्रवार काे कहा कि सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) 2023 की रिपोर्ट में प्रदेश ने उल्लेखनीय सुधार दर्ज किए हैं—मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 159 से घटकर 142, नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) 29 से घटकर 27, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 40 से घटकर 37 और 5 वर्ष से कम आयु बाल मृत्यु दर (यू5 एमआर) 49 से घटकर 44 हो गई है। ये आँकड़े सकारात्मक संकेत हैं कि हमारे प्रयास सही दिशा में हैं।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश की स्वास्थ्य टीम की अथक मेहनत का परिणाम है। आशा कार्यकर्ता, एएनएम, सीएचओ, नर्स, डॉक्टर, विशेषज्ञ, प्रशासक और नीति निर्धारक सभी ने मिलकर निरंतर कार्य किया है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि यह सफलता आगे बढ़ने की प्रेरणा है। सतत प्रयास, वैज्ञानिक योजना और जनभागीदारी के माध्यम से मध्यप्रदेश वर्ष 2030 तक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 7 अप्रैल 2025 को मातृ शिशु संजीवन मिशन और अनमोल 2.0 पोर्टल का शुभारंभ इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मातृ-शिशु संजीवन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 80 प्रति लाख, नवजात मृत्यु दर को 10 प्रति हजार से कम और शिशु मृत्यु दर को 20 प्रति हजार से कम करने का लक्ष्य रखा गया है। अनमोल 2.0 और ई-पीएमएसएमए जैसे डिजिटल टूल्स के माध्यम से हाई रिस्क गर्भावस्थाओं की समय पर पहचान और प्रबंधन किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की नियमित जाँच हर माह की 9 और 25 तारीख को की जा रही है तथा पोषण किट, आयरन सप्लीमेंट और आवश्यक इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। चिन्हित अस्पतालों को एफआरयू के रूप में सक्रिय कर एचडीयू/आईसीयू, एसएनसीयू/एनबीएसयू को अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है।
मातृ-शिशु संजीवन मिशन के साथ-साथ सीएचसी और पीएचसी को सुदृढ़ बनाने, टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेषज्ञ सेवाएँ उपलब्ध कराने, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) की पहचान और समय पर देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुस्कान और लक्ष्य कार्यक्रमों से गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है तथा ई-रूपी और “यू कोट वी पे” योजनाओं के तहत सोनोग्राफी और एनेस्थीसिया सेवाएँ सुलभ हुई हैं।
उन्होंने कहा कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य सुधारों के साथ-साथ किशोर स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में स्वस्थ गर्भधारण सुनिश्चित हो सके। शत-प्रतिशत ट्रैकिंग, मातृ एवं शिशु प्रकरणों की रिपोर्टिंग और समीक्षा, टीबी व सिकल सेल स्क्रीनिंग, कैंसर नियंत्रण, एनसीडी स्क्रीनिंग और एचपीवी टीकाकरण जैसे उपायों से व्यापक स्वास्थ्य सुधार का रोडमैप तैयार किया गया है।
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