Patrakar Priyanshi Chaturvedi
जबलपुर । मध्य प्रदेश में एक महिला अभ्यर्थी को महिला पर्यवेक्षक भर्ती में 99.02% अंक होने के बाद भी भर्ती से बाहर कर दिया गया, जिसको लेकर मप्र हाईकोर्ट ने विभाग को नोटिस जारी कर भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय तक अधीन रखा है। महिला पर्यवेक्षक भर्ती का विज्ञापन 9 जनवरी 2025 को कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल द्वारा जारी किया गया था। महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्य प्रदेश विकास मंत्रालय के अधीन 800 से अधिक पदों की भर्ती निकाली गई थी, जिसकी परीक्षा तिथि 28 फरवरी 2025 थी।
इस भर्ती की फाइनल मेरिट लिस्ट 19 जून 2025 को जारी हुई। फाइनल लिस्ट सामने आते ही कई अभ्यर्थियों ने सवाल उठाए। कहा गया कि जिनके अंक बेहद कम हैं, उन्हें भी नियम विरुद्ध तरीकों से चयनित कर लिया गया, जबकि अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को सूची से बाहर कर दिया गया।
दरअसल, जबलपुर की रहने वाली याचिकाकर्ता के एम वैशाली ने 172.92 अंक (99.02%) हासिल किए। इसके बावजूद उसका नाम न तो चयन सूची में आया और न ही प्रतीक्षा सूची में। अभ्यर्थी ने आरोप लगाया है कि पूरे चयन में भारी अनियमितताएं की गई हैं। वैशाली का आरोप है कि कई अभ्यर्थियों को, जिनके अंक उससे काफी कम थे, मनमाने ढंग से बोनस अंक देकर चयनित कर लिया गया।
जस्टिस एम.एस. भट्टी की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान भर्ती प्रक्रिया में उठाए गए सवालों को गंभीर माना और इस पर सख्त रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए और साफ कर दिया कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया अब याचिका के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी। यानी जब तक कोर्ट इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता, तब तक चयन प्रक्रिया पर तलवार लटकी रहेगी।
याचिकाकर्ता के एम वैशाली की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर, अधिवक्ता हितेंद्र गोल्हानी और अभिलाषा सिंह लोधी ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई है। बोनस अंक देने के नियमों का गलत इस्तेमाल हुआ है और कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियम तोड़कर लाभ पहुंचाया गया, जिससे योग्य अभ्यर्थियों का हक छीना गया। जिसके बाद तर्कों से संंतुष्ट हो हाईकोर्ट ने विभाग को नोटिस जारी कर भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय तक अधीन रखा है।
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