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नई दिल्ली । बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण और कांग्रेस के 'वोट चोरी' आरोपों सहित विभिन्न मुद्दों पर शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्य सभा की कार्यवाही शुरू करते ही उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक कागजात और रिपोर्ट्स सदन की पटल पर रखवाए। उसके बाद हरिवंश ने कहा कि आज उन्हें नियम 267 के तहत 20 नोटिस मिले हैं। आज के नोटिस में पांच अलग-अलग मुद्दे शामिल हैं, जिन पर सदस्यों ने कार्य स्थगन की मांग की है। ऐसा प्रतीत होता है कि नियम 267 के तहत नोटिसों का इस्तेमाल सदन में अव्यवस्था फैलाने के लिए किया जा रहा है। इसके बाद फिर हंगामा शुरू हो गया।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि अगले सोमवार से विपक्ष द्वारा दिए जाने वाले सभी नोटिस एसआईआर मुद्दे पर होंगे।सीपीआई(एम) के जॉन ब्रिटास ने कहा कि नियम 267 को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, जबकि कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष चाहता है कि सदन चले और एसआईआर मुद्दे पर चर्चा हो। डीएमके के तिरुचि शिवा ने कहा कि नियम केवल कागज़ों पर ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी होने चाहिए।
इस हंगामे को देखते हुए सभापति ने सभी से सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अब तक सदन का 56 घंटे और 49 मिनट का समय बर्बाद हो चुका है। सत्र में अब तक केवल 13 तारांकित प्रश्न, पांच शून्यकाल प्रस्तुतियां और 17 विशेष उल्लेख ही लिए गए हैं। इसके कारण विपक्षी सदस्यों में हंगामा मच गया और सांसद नारे भी लगाने लगे। इसके बाद उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
राज्य सभा की कार्यवाही जब दोबारा बारह बजे शुरू हुई तो फिर से सदन में हंगामा शुरू हो गया। सभापति के रूप में सभा की कार्यवाही संचालित कर रहे घनश्याम तिवाड़ी ने प्रश्नकाल शुरू किया, लेकिन सदन में कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने बैज पहन कर नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद सभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
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