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मध्य प्रदेश के हजारों कोटवार अपनी सेवा भूमि को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं... शासन के सेवा भूमि को पुनः सरकारी नाम पर दर्ज करने के आदेश के बाद कोटवारों ने विरोध जताया है...ओंकारेश्वर के मांधाता तहसील में जुटे कोटवारों ने शासन से पूछा अगर जमीन हमारे नाम नहीं रहेगी, तो खेती और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं कैसे मिलेंगी...
मध्य प्रदेश के करीब 5500 गांवों में कार्यरत कोटवारों को पूर्व की सरकारों से दी गई सेवा भूमि को सरकारी नाम पर दर्ज किया जा रहा है...सरकार के इस आदेश से कोटवारों में नाराज़गी है ...जिसके बाद कोटवार लामबंद होकर मांधाता तहसील पहुंचे जहां उन्होंने ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं...तहसीलदार नरेन्द्र मुवेल ने बताया कि यह जमीन कोटवारों से छीनी नहीं जा रही है, बल्कि रजिस्ट्री और दुरुपयोग से बचाने के लिए इसे सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है...कोटवार पहले की तरह ही इस भूमि का उपयोग करते रहेंगे, और उनकी सेवा तथा अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा….
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