विपक्ष का सदन से किया वॉक आउट
bhopal, Opposition created ruckus, walked out of the House
भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन गुरुवार को सदन में विपक्ष पार्टी कांग्रेस ने परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के मामले को लेकर जमकर हंगामा किया। ध्यानाकर्षण के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भोपाल के मेंडोरी के जंगल में लावारिस कार में मिले करोड़ों रुपये की नकदी और सोने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने दूसरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के लिए विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह को बुलाया। इस पर कांग्रेस विधायक नेता प्रतिपक्ष के टेबल के पास इकट्ठा होकर नारेबाजी करने लगे। फिर सदन से वॉकआउट कर दिया और गर्भगृह में आकर नारेबाजी की।


मप्र विधानसभा में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान परिवहन विभाग में घोटाले और सौरभ शर्मा की काली कमाई का मामला उठाया। उन्होंने इनोवा कार में मिले 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश का मसला भी उठाया। इसके जवाब में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि 30 करोड़ की अचल संपत्ति सौरभ शर्मा से जब्त हुई है। जांच जारी है। कार से सोना और कैश की जब्ती की जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा भी की जा रही है। आयकर विभाग की जांच की जानकारी को लेकर पत्र लिखा गया है। इसकी जानकारी मिलनी बाकी है।


विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने ध्यानाकर्षण पर चर्चा के दौरान कहा कि सभी सदस्य ध्यान रखें कि एजेसियों की जांच में दिक्कत की बात नहीं आनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि 20 दिसंबर को सौरभ शर्मा का मामला सामने आने के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डीपी गुप्ता को हटाया गया है। क्या कमिश्नर को हटाना ही कार्यवाही का हिस्सा है। बड़े अधिकारी को हटाने से कार्रवाई पूरी मान ली जाती है, जबकि सस्पेंड और एफआईआर की कार्रवाई होनी चाहिए। उस समय के अपर मुख्य सचिव परिवहन से जानकारी ली गई क्या? इनोवा कर की गाड़ी का नंबर है। फार्म हाउस है, सोना है, पैसा है, सब कुछ है। लेकिन किसका है यह पुलिस नहीं बता रही। जो डायरी मिली है उसमें दशरथ पटेल के हस्ताक्षर हैं। इसकी जांच कराई जा सकती है। पूर्व परिवहन मंत्री के ओएसडी रहे दशरथ पटेल, संजय श्रीवास्तव को पुलिस ने अब तक क्यों नहीं बुलाया। प्रदेश के लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा है तो इसकी सच्चाई सामने आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थगन प्रस्ताव मांगा था, लेकिन यह ध्यानाकर्षण में बदल दिया गया।


इस पर संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही कार्य संचालन प्रक्रिया से चलती है। सुप्रीम कोर्ट से नहीं चलती। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि ऐसा कहकर मंत्री विजयवर्गीय सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं। इसके बाद सदन में हंगामा और शोर शराबा तेज हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच बहस होने लगी। विजयवर्गीय ने कहा कि यहां लोकायुक्त पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। उससे संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं। लोकायुक्त का जो मामला विचाराधीन है, उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। इस पर उमंग सिंघार ने कहा कि अगर लोकायुक्त पुलिस सोना और कैश की जांच करती तो इनकम टैक्स बीच में नहीं आता। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई नहीं की। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई इसकी जांच करे, ऐसा हम चाहते हैं। सरकार का जांच एजेंसियों पर दबाव है। इसलिए हम इसकी सीबीआई जांच चाहते हैं।


परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि एक जुलाई 2024 को प्रदेश के सभी परिवहन चेक पोस्ट बंद कर दिए गए हैं। किसी की तरह की अवैध गतिविधियों के संचालन पर रोक लगाई गई है। इसके बाद 45 रोड सेफ्टी पॉइंट चालू किए गए हैं। महाराष्ट्र की सीमा पर और सेंधवा में लगे चेक पोस्ट को भी बंद करने का काम किया गया है। चेकिंग विभाग द्वारा की जाती है। जांच के लिए हाईवे और अन्य स्थानों पर टीम समय-समय पर घूमती है। जांच में एक पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। हम भोपाल में बैठकर उसको मॉनिटर कर सकें, इसकी व्यवस्था में लगे हैं। उन्होंने चेक पोस्ट पर किसी भी तरह से अवैध वसूली किए जाने से इनकार किया।


नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस पर कहा कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को हटाया गया तो क्या उनके खिलाफ जांच कराई गई थी। जो डायरी के पन्ने वायरल हुए, क्या सरकार ने उसकी जांच कराई कि इसमें किसके हस्ताक्षर हैं। प्रदेश की जनता को पता चलना चाहिए कि सोना किसका है, कैश किसका है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई की जांच होनी चाहिए। क्या सरकार ऐसा कराएगी। मंत्री ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया तो फिर सिंघार ने कहा कि क्या सरकार की नीयत साफ नहीं है कि वह जांच नहीं करना चाहती। मंत्री ने कहा कि सक्षम जांच एजेंसी की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।


इसके जवाब में मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि लोकायुक्त छापे की कार्रवाई के दौरान कोई डायरी जब्त नहीं हुई है। जब कोई डायरी जब्त नहीं हुई तो नाम कहां से आ जाएंगे। इस मामले में सक्षम एजेंसी जांच कर रही है, जिसमें हमारा दखल नहीं है। जांच एजेंसियों ने जो जांच की है उसमें कई तरह के करप्शन सामने आए हैं। दोषी लोग जेल में भी हैं। इसलिए उनकी जांच पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है, क्योंकि सौरभ शर्मा वीआरएस ले चुका था, इसलिए वह विभाग की सीधी जांच की कार्रवाई में नहीं आ रहा था।


नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार में कहा कि जिन अधिकारियों ने जनता का पैसा लूटा है, अवैध वसूली की है...उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए। उन्होंने सदन में प्रतीकात्मक तौर पर सोने का बिस्किट दिखाकर सीबीआई जांच की मांग दोहराई। इसके बाद कांग्रेस विधायक सीबीआई जांच कराओ-जांच कराओ के नारे लगाने लगे। शोर-शराबे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने दूसरे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी। विधायक बृजेंद्र सिंह अपना ध्यानाकर्षण पढ़ने लगे तो कांग्रेस ने विधानसभा से वॉक आउट कर दिया।


सौरभ शर्मा मामले में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा में कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे ने कहा कि जिस गाड़ी में कैश और गोल्ड मिला, उसकी लाइव लोकेशन प्राप्त की जानी चाहिए। ड्राइवर से पूछताछ की जानी चाहिए। इससे पूरे मामले से जुड़े लोग सामने आ जाएंगे। दो पूर्व परिवहन मंत्री का नाम लिए बगैर कटारे ने कहा कि सुरखी और खुरई के व्यक्ति की आमदनी अचानक बढ़ गई है। इस पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पॉइंट ऑफ ऑर्डर कहा कि यह ध्यानाकर्षण का विषय नहीं है।इसके बाद अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि सिर्फ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव से संबंधित मसले पर ही बात होगी।


इसके बाद कटारे ने कहा कि उन्होंने विधानसभा से सवाल किया था, उसके जवाब में बताया गया है कि 2016 में परिवहन मंत्री ने पत्र लिखा था सौरभ शर्मा की नियुक्ति के लिए। यह पत्र परिवहन मंत्री ने खुद ही लिखा था। उनसे अभिमत नहीं मांगा गया था। उसके बाद जो नोटशीट चली उसे मंत्री के निर्देश के आधार पर प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई थी। सौरभ शर्मा वसूली करता था। वह सत्य प्रकाश के संपर्क में आया फिर राजेंद्र सेंगर के संपर्क में और उसके बाद मंत्री के संपर्क में आया था। जो फर्जी अनुकंपा नियुक्ति सौरभ शर्मा को दी गई और जिसके नोटशीट के आधार पर दी गई क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सौरभ शर्मा की ओर से नियुक्ति के दौरान यह जानकारी नहीं दी गई थी कि उनके परिवार का कोई सदस्य शासकीय सेवा में है। जानकारी सामने आई तो इस मामले में कार्यवाही शुरू की गई है। सौरभ शर्मा के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए डीजीपी को पत्र लिखा गया है। सौरभ ने 29 -10 -2016 को परिवहन विभाग में नियुक्ति प्राप्त की थी। परिवहन विभाग के अफसर के खिलाफ भी दूसरे विभागों के अफसरों-कर्मचारियों की तरह भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई के लिए जांच की जाती है।

 

Dakhal News 20 March 2025

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