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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अतरार गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें छुआछूत की जड़ें आज भी गहरी पाई गईं। यहां एक दलित व्यक्ति ने हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाया और उसे पांच ग्रामीणों में बांट दिया। इस सरल से कार्य ने गांव में हंगामा मचाया और सामाजिक बहिष्करण का कारण बन गया। इसके बाद, गांव के सरपंच ने पांच ग्रामीणों को सामाजिक कार्यक्रमों से बाहर कर दिया और उन पर मानसिक दबाव डालने की कार्रवाई की।
अतरार गांव में यह घटना तब घटी जब एक दलित व्यक्ति ने हनुमान मंदिर में प्रसाद चढ़ाया और इसे गांव के पांच अन्य ग्रामीणों में वितरित किया। इस कार्य को कुछ ग्रामीणों ने अपनी 'परंपरा' के खिलाफ समझा और गांव के सरपंच को सूचित किया। सरपंच ने इसे जातिवाद और छुआछूत की सीमा पार करने वाला कदम माना और आदेश दिया कि इन पांच ग्रामीणों को सामाजिक कार्यक्रमों से बहिष्कृत किया जाए। इससे पहले कि मामला शांत होता, गांव में इस निर्णय के कारण सनसनी फैल गई और गांव के भीतर तनाव का माहौल बन गया।
सरपंच के आदेश के बाद इन पांच ग्रामीणों को सामाजिक आयोजनों और समुदाय से संबंधित गतिविधियों से बहिष्कृत कर दिया गया। इन लोगों ने मानसिक प्रताड़ना का सामना करना शुरू कर दिया और उनका सामाजिक जीवन कठिन हो गया। इस घटनाक्रम ने अतरार गांव में जातिवाद और छुआछूत की मानसिकता को उजागर किया, जो आजादी के कई दशकों बाद भी समाज में मौजूद है।
इस घटना के बाद, प्रभावित ग्रामीणों ने एसपी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। बिजावर एसडीओपी ने इस मामले की जांच की बात कही और कहा कि जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस तरह के सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रशासन कदम उठाएगा।
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