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‘रेस 3’ और ‘83’ जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले साकिब सलीम ने हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज ‘सिटाडेल: हनी बनी’ में खलनायक की भूमिका निभाई है। इस सीरीज में काम करने के अनुभव को साकिब ने साझा किया और बताया कि नेगेटिव रोल प्ले करने का उनका अनुभव कैसा रहा।
साकिब ने बताया, ‘खलनायक की भूमिका में करने और खेलने के लिए बहुत कुछ होता है। नए प्रयोग किए जा सकते हैं, क्योंकि वहां सही रहने के लिए किसी भी तरह के नैतिक मूल्यों का दबाव नहीं होता है। जब मुझे ‘सिटाडेल: हनी बनी’ में केदार की भूमिका मिली, तो मैंने अपनी कहानी गढ़ी कि केडी अपनी कहानी का हीरो है और सामने वाले बंदे ने उससे उसका परिवार छीन लिया है। अगर शो का नाम सिटाडेल केडी होता, तो वो ही इसका हीरो होता। वो शो में जो भी कर रहा था, उसके पास उन सबके सही कारण थे।’
साकिब ने यह भी बताया कि इस शो में उनके पास बोलने के लिए ज्यादा डायलॉग नहीं थे। उनका किरदार सीरीज में ज्यादा बातचीत भी नहीं करता है, वह सीधा गोली मारता है या किसी के पीछे भागता है। ऐसे में यह शो करते हुए उन्होंने सीखा कि जब आपके पास ज्यादा डायलॉग नहीं होते हैं, तो अपनी कहानी और भावनाओं को लोगों के सामने कैसे अच्छी तरह से रखा जाता है।
फिल्मकारों के अपने प्रति बदले रवैये को लेकर साकिब ने कहा, ‘जब आप अच्छा काम करते हैं, आपकी तारीफ होती है तो इंडस्ट्री का रवैया आपके प्रति बदल जाता है। इन दिनों मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, क्योंकि मुझे रोजाना फोन और मैसेज आ रहे हैं और मेरे काम की तारीफ हो रही है।’
फिल्मों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अनिश्चितता बढ़ने के सवाल पर साकिब ने कहा, ‘मैंने समझा कि फिल्म पूरी तरह से निर्देशक की होती है। सिनेमा स्टार्स की बदौलत नहीं चलती, बल्कि इसे निर्देशक चलाते हैं। इसलिए मेरी कोशिश अच्छे फिल्मकारों के साथ काम करने की रहती है। फिर वह कबीर खान के साथ फिल्म ‘83 हो या राज एंड डीके के साथ ‘सिटाडेल: हनी बनी’ वेब सीरीज। यहां फिल्मकारों का काम बिकता है। मैं उन फिल्मकारों के साथ काम करने की कोशिश कर रहा हूं, जो अपनी चीजों और कहानियों को लेकर सुनिश्चित रहते हैं। इंडस्ट्री की अनिश्चितताओं से निपटने का मुझे यही सबसे सही तरीका लगता है।’
मुस्लिम समुदाय से आने वाले साकिब ने अपने इंस्टाग्राम बायो में गर्व से स्वयं को भगवान का बेटा बताया है। इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरी व्यक्तिगत मान्यताएं किसी एक मत विशेष से जुड़ी हो सकती हैं, लेकिन मैं यह भी मानता हूं कि इस दुनिया, ब्रह्मांड को एक दिव्य शक्ति चला रही है। कभी-कभी लोगों को आपत्ति होती है कि साकिब सलीम ने भगवान का बेटा क्यों लिखा है? हालांकि, मैं अपने आप को धर्म के ऐसे नजरिए से नहीं देखता हूं। मैं उस माहौल में पला-बढ़ा हूं, जहां मेरे लिए सभी बराबर हैं। मेरे दिमाग में कट्टरता की सोच के लिए जगह नहीं है।’
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