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रूप बदलने वाली मां हरसिद्धि रानगिर का दरबार इस समय चांदी की चमक से जगमगाया हुआ है ... यहाँ भक्तो का सैलाब उमड़ता रहता है ,,,माँ के दरबार में हर मनोकामना पूर्ण होती है ...
शारदीय नवरात्रि में देवी मंदिरों में माता की आराधना की जा रही है ... ऐसे ही सागर के प्रसिद्ध रानगिर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में माता का श्रंगार कर आरती की जाती है और फिर भक्तों के लिए उनके पट खोल दिए जाते हैं ... नौ दिनों में यहां लाखों श्रद्धालुओं का आना-जाना होगा, वहीं नवरात्रि से पहले
प्राचीन मां हरसिद्धि देवी रानगिर मंदिर में भक्तों द्वारा मां को चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया गया ... मां के गर्भगृह के भीतरी द्वार और प्रतिमा के पीछे की दीवार को चांदी से कारीगरों द्वारा करीने से मढ़ा गया है ... विंध्य पर्वतमाला की चोटी पर रानगिर में हरसिद्धि माता का प्रसिद्ध मंदिर है... इस इलाके की पहचान घने जंगल, कठोर चट्टान, दुर्गम रास्ते और देहार नदी के रूप में है... यहां हरसिद्धि माता दिन में तीन रूप में दर्शन देती हैं, जिसमें सूर्य की प्रथम रश्मियों और लालिमा के सुनहरे पर्यावरण में उनकी मुद्रा बाल सुलभ किशोरी के रूप में देखी जा सकती है.... दोपहर में युवा रूप में मां दर्शन देती हैं और शाम को मां एक वृद्ध नारी के रूप में दृश्यमान होती हैं..... परिवर्तनशील मां की छवि में श्रद्धालु अपनी समूची आस्था और श्रद्धा मां के चरणों में समर्पित कर धन्य हो जाते हैं.... यह मंदिर करीब 400 साल से अधिक पुराना है ...
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