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श्राद्ध पक्ष में वैसे तो कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के आधार पर उज्जैन में गाय - बैल की शादी हुई। दूल्हा बैल, दुल्हन गाय थी। शादी में मेहंदी, बारात, फेरे और मांग भरने से लेकर मंगलसूत्र पहनाने की रस्म भी हुई। रिसेप्शन भी हुआ।
यह अनोखा विवाह रविवार को शहर के विष्णुपुरा में तेजाजाी धाम मंदिर में हुआ। प्रोफेसर डॉक्टर भवानी शंकर शास्त्री शहर के चारधाम मंदिर के पास कॉलेज में पदस्थ हैं। उन्होंने बताया कि वे विष्णु पुराण और हिंदू मान्यताओं के दूसरे धार्मिक ग्रंथ पढ़ते रहते हैं। धार्मिक ग्रंथों से ज्ञात हुआ कि श्राद्ध पक्ष में गाय और बैल की शादी कराने से प्रेत योनि से मुक्त होकर 10 पीढ़ी आगे और 10 पीढ़ी पीछे तक को स्वर्ग मिलता है। इसी कारण विवाह का आयोजन कराया।
उन्होंने बताया कि आम शादी में जो कार्यक्रम - परंपराएं होती हैं, सभी सुबह से लेकर शाम तक एक ही दिन में किए गए। शाम को बैल (तेजा) और गाय (पेमल रानी) के फेरे कराए गए। मंदिर में ही रिसेप्शन हुआ।
डीजे और बैंड - बाजे के साथ निकली बारात
मेहंदी के साथ बैल और गाय को तेल चढ़ाया गया। इसके बाद ढोल और डीजे के साथ तेजा की बारात निकली। बाराती डीजे पर नाचते - गाते गाय के माता-पिता बने शुक्ला परिवार के घर पहुंचे। बाकायदा बारातियों को स्वागत - सत्कार किया गया। तेजाजी मंदिर में शाम को विवाह हुआ। हिंदू रीति के अनुसार सात फेरे, पग पूजन, कन्यादान हुआ। मंगलसूत्र पहनाने और मांग भरने की रस्में भी हुईं।
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