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उज्जैन में शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया। इस मौके पर आदिवासी नृत्य समूह ने करीब 4 किमी तक मांदल, तासे, गोफन, फालिया और तीर-कमान लेकर नृत्य करते रैली निकाली। साथ ही अपनी संस्कृति और भाषा का संरक्षण, परंपरागत प्रथाएं, पर्यावरण संरक्षण, जल-जंगल-जमीन की चिंता, मूलभूत अधिकार के संरक्षण का संदेश दिया।
रैली के समापन पर हुई परिचर्चा
आदिवासियों नृत्य समूह के प्रमुख डॉ. कनिया मेड़ा ने बताया- शहर और जिले के सर्व आदिवासी समाजजन, प्रातः 9 बजे दशहरा मैदान पर एकत्रित हुए। 11 बजे से रैली के रूप में दशहरा मैदान, पुलिस कंट्रोल रूम, चार गुमटी हॉस्पिटल, शहीद पॉर्क, टॉवर चौराहा, तीन बत्ती, सिंधी कॉलोनी चौराहा, मुनि नगर दो तालाब, भारत पेट्रोल पंप, नानाखेड़ा चौराहा, ट्रेजर बाजार के सामने से होते हुए महाकाल वाणिज्य कॉलोनी स्थित शुभम मांगलिक भवन पहुंचे। यहां रैली का समापन किया।
रैली में डीजे, आदिवासी वाद्ययंत्र मांदल, तासे, आदिवासी गोफन, फालिया, तीर-कमान, लट्ठ के साथ सामाजिक संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए पारंपरिक वेशभूषा में दोपहिया चार पहिया वाहन भी साथ चले। रैली के समापन के बाद शुभम मांगलिक भवन में परिचर्चा शुरू हुई ।
अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखना उद्देश्य
समिति के सचिव डॉ. राजू नारंग ने बताया- इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य संस्कृति, भाषा का संरक्षण, प्रथाएं, जल-जंगल-जमीन की चिंता, मूलभूत अधिकार का संरक्षण, अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखना है। साथ ही आदिवासी गरीबी उपेक्षा, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, बेरोजगारी, बंधुआ मजदूरी से संघर्ष का निवारण करने के लिए प्रयत्नशील रहना है।
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