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आशुतोष प्रभु भगवान शिव को 'निखिलेश्वर' भी कहते हैं। भोले भंडारी के नाम पर अपना नाम होने से खुद को धन्य मानने वाले सुपरहिट फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ के अभिनेता निखिल सिद्धार्थ बताते हैं, ‘निखिल का मतलब ब्रह्मांड भी होता है। तेलुगू फिल्म 'कार्तिकेय 2' की अपार सफलता के बाद हर तरफ निखिल सिद्धार्थ की चर्चा हो रही है। फिल्म में निखिल भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी एक महागाथा को सुलझाते हुए नजर आए। ‘मीडिया ' से खास बातचीत के दौरान निखिल सिद्धार्थ ने खुलासा किया कि अब 'कार्तिकेय 3' पर काम शुरू हो चुका है। 'कार्तिकेय 2' की सफलता के बाद उन्हें बॉलीवुड से भी कई फिल्मों के ऑफर आ चुके है।
दक्षिण भारतीय सितारे निखिल मानते हैं कि व्यक्ति का जैसा नाम होता है। वैसा भी उसका स्वभाव भी होता है। हमारे सनातन संस्कृति की परंपरा रही है कि बच्चों के नाम भगवान के नाम पर रखे जाएं ताकि माता पिता अगर कष्ट के समय भी बेटे का नाम पुकारे तो इसी बहाने भगवान का नाम जुबान पर आ जाए। वह कहते हैं, ‘मेरा नाम निखिल सिद्धार्थ दरअसल दो हिस्सों को मिलाकर बना है। भगवान शिव को 'निखिलेश्वर' भी कहते हैं। उन्हीं के नाम पर मेरा निखिल और पिताजी के नाम श्याम सिद्धार्थ का सिद्धार्थ मिलाकर मेरा नाम निखिल सिद्धार्थ पड़ा।' निखिल सिद्धार्थ के पिता श्याम सिद्धार्थ प्रोफेसर और उनकी मां वीना सिद्धार्थ प्रिंसिपल रह चुकी हैं। अभी इसी साल 28 अप्रैल को अपने पिता को खो देने वाले निखिल बहुत भावुक होकर कहते है, ‘पिताजी ने 'कार्तिकेय 1' देखी थी। अगर आज वह होते तो 'कार्तिकेय 2' की सफलता को देखकर बहुत खुश होते। इस फिल्म की सफलता की खुशी मुझे भी बहुत है, लेकिन दुख इस बात का है कि पिताजी इस फिल्म की सफलता नहीं देख पाए। यह फिल्म तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिन्दी में हर तरफ सराही गई। अब भी इस फिल्म के शोज तमाम सिनेमाघरों में हॉउसफुल जा रहे हैं।' निखिल सिद्धार्थ की फिल्म 'कार्तिकेय 2' ने अपने साथ ही बॉक्स ऑफिस पर पहुंची फिल्मों में से आमिर खान 'लाल सिंह चड्ढा' और अक्षय कुमार की फिल्म 'रक्षा बंधन' को पीछे छोड़ दिया। 'कार्तिकेय 2' की सफलता से निखिल सिद्धार्थ को बॉलीवुड की फिल्मों के ऑफर मिलने शुरू हो गए हैं। वह बताते हैं, 'हां, हिंदी सिनेमा के दो बड़े प्रोडक्शन हाउस से मुझे फिल्मों के ऑफर मिले हैं। लेकिन, जब तक फिल्म साइन नहीं कर लेता तब तक उनका नाम बताना ठीक नहीं होगा। फिलहाल, मैं तेलुगू फिल्मों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहूंगा लेकिन अगर कोई अच्छे मुद्दे पर, राष्ट्रहित पर बड़ी हिंदी फिल्म सामने आई तो इस पर जरूर विचार करूंगा। क्रिकेट के बाद सिनेमा में ही वो ताकत है जो देश को जोड़ती है।'
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