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आलोक पराड़कर-
हिंदी पत्रकारिता के आधार स्तंभ पत्रकारों में से एक तथा मराठी भाषी होते हुए भी कोलकाता और वाराणसी में पत्र-पत्रिकाओं के संपादन का मानदंड स्थापित करने वाले लक्ष्मण नारायण गर्दे के छोटे पुत्र पुरुषोत्तम लक्ष्मण गर्दे का मंगलवार को पूर्वाहन पत्थर गली स्थित पैतृक निवास में निधन हो गया।
अभी दो माह पूर्व ही पुरुषोत्तम लक्ष्मण गर्दे के पुत्र विश्वास गर्दे भाऊ का निधन हुआ था। 92 वर्ष पुरुषोत्तम लक्ष्मण गर्दे स्मृति लोप के शिकार थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। विश्वास ही उनकी देखभाल करते थे। उनके निधन के बाद बेटियों ने यह दायित्व संभाला था।
अपने पिता की तरह पुरुषोत्तम लक्ष्मण गर्दे ने पत्रकारिता की राह नहीं चुनी बल्कि डाक विभाग में नौकरी की लेकिन वे एक कुशल चित्रकार थे। नागरी प्रचारिणी सभा, पराड़कर स्मृति भवन सहित कई स्थानों पर उनके बनाए प्रसिद्ध व्यक्तियों के चित्र लगे हुए हैं। वे गर्दे जीके छोटे पुत्र थे। बड़े पुत्र का वर्षों पहले निधन हो गया था।
बाबूराव विष्णु पराड़कर के समकालीन और रिश्तेदार लक्ष्मण नारायण गर्दे ने मराठीभाषी होते हुए भी हिन्दी की अप्रतिम सेवा की है। भारतमित्र, नवजीवन, वेंकटेश्वर समाचार और हिंदी बंगवासी के संपादकीय दायित्वों का निर्वाह करने वाले गर्दे जी ने श्रीकृष्ण संदेश और नवनीत जैसी पत्रिकाएं भी निकाली। उन्होंने महात्मा गांधी की पुस्तक का अनुवाद किया। उनकी सरल गीता पुस्तक भी काफी लोकप्रिय रही। उन्होंने कल्याण के अंकों का संपादन भी किया।
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