रतलाम। हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर, गांधीवादी प्रदेश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुरेश आनन्द गुप्ता का शनिवार शाम देवलोगमन हो गया है। उनका अंतिम संस्कार रविवार को प्रात: जवाहर नगर स्थित मुक्तिधाम पर किया गया। उनके एक मात्र पुत्र इंगित गुप्ता ने मुखाग्नि दी।
बताया गया है कि वे विगत कुछ माह से बीमार थे, वे जाने माने साहित्यकार थे, जिन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी तथा लगभग डेढ़ हजार से अधिक पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख,कविताएं प्रकाशित हो चुकी है।
उनके पुत्र इंगित ने बताया कि उन्हें साहित्यालंकार सहित दर्जनों उपाधियों से सम्मानित भी किया गया। आकाशवाणी , दूरदर्शन पर उनकी रचनाएं प्रसारित हो चुकी है । ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी , जगदीश तोमर , शैवाल सत्यार्थी , स्व भवानी प्रसाद मिश्र, कवि नीरज, शैल चतुर्वेदी जैसे अनेक साहित्यकारों के साथ रह चुके हैं। ' छन छन कर आती है धूप , मेरे पर्दे से मेरे कमरे में , लड़ा बैठी आंखे मेरी दीवारों से उनका चर्चित गीत रहा है। उनके तीखे व्यंग्य किसी तीर के वार से कम नही रहे है । ' मैं हिंदुस्तान को हिन्दुस्तान देखना चाहता हूं , जिसने भी उठाई आंख उसे भेदना जानता हूँ , क्या हुआ मेरे पास तलबार नहीं है , मैं कलम में ही बारूद भरना चाहता हूँ काव्य के ऊर्जावान साहित्यकार आनन्द जी के निधन की खबर मिलते ही उनके चाहने वाले उनके निवास पर पहुंच गए थे।