इंदिरा गांधी बनाम नरेंद्र मोदी राम बहादुर राय का लेख एकतरफा है
bhopal,Indira Gandhi, Narendra Modi ,Ram Bahadur Rai ,article

विषय : पत्रकार-बुद्धिजीवी राम बहादुर राय Communal & Prejudice Mind

श्रीमान संपादक जी

राजस्थान पत्रिका समूह के प्रसिद्ध समाचार पत्र दैनिक पत्रिका में अत्यंत वरिष्ठ और सम्मानीय पत्रकार के लेख पर मेरी यह प्रतिक्रिया आप धैर्य धारण कर अवश्य पढ़ लीजिए। शायद कुछ बातें आपको बहुत पसंद आए!

पत्रिका अखबार के दिनांक 25 जून के अंक में “दूसरे आपातकाल की कोई आशंका नहीं” शीर्षक से वरिष्ठ, सम्मानित पत्रकार और बुद्धिजीवी राम बहादुर राय का लेख इंदिरा गांधी के आपातकाल के संबंध में निष्पक्ष और यथार्थवादी विवेचन नहीं है।

श्री रामबहादुर राय को भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की स्मृति में बनाए गए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का चेयरमैन मोदी राज में बनाया गया। श्री रामबहादुर राय का जन्म गाजीपुर में जुलाई 1946 में हुआ। उन्होंने देश के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्थानों में सक्रिय रहकर पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लेकिन कड़वा सच यह भी है कि ये हमेशा कांग्रेस के विरोध में रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी से संबंधित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन के विस्तार में लगे रहे। उस संगठन के यह सचिव भी रहे हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदू शब्द हटाए जाने के संबंध में 1965 में इन्होंने विरोध आंदोलन में भाग लिया था। श्रीमती इंदिरा गांधी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल में छात्र परिषदों के चुनाव पर रोक के संबंध में उग्र आंदोलन किया था। इंदिरा गांधी को काले झंडे दिखाए थे। साथ ही श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के दिनों में यह 16 महीने जेल में भी रहे।

इस तरह इंदिरा गांधी के प्रति इनका आक्रोश, इनकी नफरत और पूर्वाग्रह को अच्छी तरह समझा जा सकता है।

श्री राय का चरित्र और स्वभाव और मूल चिंतन कट्टर हिंदू वाद है। यह इमरजेंसी की आलोचना करते हैं और श्रीमती गांधी पर व्यक्तिगत आक्षेप कर रहे हैं जो कुछ हद तक तो सही है परंतु इमरजेंसी में जो रेल रोको आंदोलन करके पूरे देश की अर्थव्यवस्था और जन सुविधा को तहस-नहस कर दिया गया था; पूरे देश में उग्र आंदोलन चल रहे थे, उसके संबंध में इन पत्रकार महोदय ने पूरी तरह चुप्पी साध ली।

इमरजेंसी की घोषणा आजादी के संदर्भ में बहुत ही निंदनीय थी लेकिन जिस तरह कोरोना का एक पहलू बहुत अच्छा है वैसे ही इमरजेंसी में भी बहुत सारे अच्छे काम हुए थे। इंदिरा गांधी की व्यक्तिगत ईमानदारी, निष्ठा, निडरता, देशभक्ति पर संदेह नहीं किया जा सकता। भारत एक महाशक्ति बन चुका है, जैसा संदेश देना उनकी विशेषता है! इसमें कोई संदेह नहीं किया जा सकता, सिवाय चंद पूर्वाग्रही लोगों के!

भूतपूर्व राजा महाराजाओं के सरकारी प्रीवि पर्स समाप्त करना और बैंकों का राष्ट्रीयकरण व बांग्लादेश का निर्माण तो उनके अमर ऐतिहासिक कदम है, उपलब्धियां हैं!

इंदिरा गांधी और आपातकाल की निंदा करने के बाद राम बहादुर राय वर्तमान शासन काल और मोदी की प्रशंसा में लेख लिखे हैं। इस लेख से उनकी कर्तव्य निष्ठा, ईमानदारी, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है और बड़े आश्चर्य की बात है कि पद्मश्री प्राप्त ऐसा तेजतर्रार और उच्च शिक्षा प्राप्त पत्रकार/लेखक उस शासन तंत्र की तारीफ कर रहा है जिसके शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है। डीजल पेट्रोल के दामों में भयानक वृद्धि की गई है जिससे पूरा देश विचलित है!!

कोराना महामारी का इतना भयानक प्रचार-प्रसार हो गया। हिंदू मुसलमानों के बीच में जो नफरत और भेदभाव अंग्रेजों के शासन काल में भी नहीं हो सका; वह सन 2014 के बाद अब देखने को मिल रहा है। संपन्न तथा सत्तापक्ष से जुड़े लोगों को छोड़कर, एक अघोषित आपातकाल जैसा चल रहा है! अब तो देश की रक्षा के संबंध में प्रश्न पूछने वाले टीवी पत्रकारों और विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को, नागरिकों को, कभी भी देशद्रोही/ गद्दार /और सेना का अपमान करने जैसा, आरोप लगाकर निम्न स्तरीय दुष्प्रचार किया जाता है। ये इस शासनकाल में आम बात हो गई है।

श्री राम बहादुर राय अपने चिंतन में शायद कट्टर सांप्रदायिकता और कट्टर राष्ट्रवाद को बहुत सही मानते होंगे। आतंकवाद की समाप्ति और विकास के नाम पर पूरे कश्मीर राज्य के टुकड़े करके लगभग 6 महीने तक के लिए पूरे राज्य को जेल खाने में बदल दिया गया। उसके संबंध में ये पत्रकार महोदय जिन्हें पद्मश्री भी दी गई है, एक शब्द भी नहीं लिखते!

व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और व्यक्तिगत राग द्वेष की दृष्टि से, देश के अपने समय के अभूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संबंध में एकपक्षीय दूषित विचार रखना, स्वस्थ निष्पक्ष निर्भीक पत्रकारिता नहीं है।

संपादक जी आप अगर निष्पक्ष निर्भीक और स्वस्थ पत्रकारिता में विश्वास रखते हैं और इतना साहस भी रखते हैं (हालांकि इसकी आशा कम ही है) तो आप से निवेदन है कि हो सके तो श्री राम बहादुर राय तक मेरी यह प्रतिक्रिया अवश्य पहुंचा दें!

बड़ा आभारी होऊंगा!

श्रीकांत चौधरी
भूतपूर्व शिक्षक एवं न्यायाधीश
व्यंग्य लेखक
एमए, एलएलबी (असली डिग्री धारी)
दमोह (मध्य प्रदेश)
shrikant2011dmo@gmail.com

Dakhal News 27 June 2020

Comments

Be First To Comment....

Video
x
This website is using cookies. More info. Accept
All Rights Reserved © 2025 Dakhal News.