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खबर लाहौर से है , पाकिस्तान में मुख्य धारा की छह धार्मिक पार्टियों ने एक दशक बाद गिले-शिकवे भुला मुत्तहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएएम) के जरिये अगले साल होने जा रहे चुनाव में उतरने का फैसला लिया है। मतभेदों की वजह से इनका गठबंधन टूट गया था। गठबंधन में शामिल सभी दल अपने पुराने घोषणापत्र पर ही चुनाव में उतरेंगे।
गठबंधन में शामिल होने के लिए दूसरी धार्मिक पार्टियों से भी संपर्क साधने का फैसला लिया गया। यह घोषणा लाहौर स्थित जमात-ए-इस्लामी के मुख्यालय में हुई बैठक में की गई। एमएएम नेताओं ने उम्मीद जताई कि वर्ष 2018 के चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी।
जमात-ए-इस्लामी के चीफ सीनेटर सिराजुल हक ने कहा कि छह सदस्यीय कमेटी की सिफारिश पर गठबंधन का फैसला लिया गया है। गौरतलब है कि आगामी चुनाव के लिए इसी हफ्ते सुन्नी विचारधारा वाले दलों ने निजाम-ए-मुस्तफा नाम से महागठबंधन बनाया था। धार्मिक मामलों के पूर्व मंत्री हमीद सईद काजमी को इस गठबंधन का अस्थाई प्रमुख चुना गया है।
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