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केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने मुंबई में कहा कि उन्होंने उन्हें पद से हटाए जाने की सरकार की किसी योजना के बारे में नहीं सुना है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर उनसे पद छोड़ने के लिए कहा जाता है तो वह ऐसा करने के लिए तैयार हैं. निहलानी को मंगलवार सुबह फोन पर ढेर सारी कॉल और संदेश आए, जिसमें उनसे उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसके मुताबिक, जल्द ही उनसे सेंसर बोर्ड प्रमुख का पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा.
निहलानी ने इन अटकलों पर पूरी सहजता से कहा, "अभी तक मैंने सरकार से ऐसा कुछ नहीं सुना है. मुझे पूरा यकीन है कि मेरे शुभचिंतक अपनी सांस रोके हुए हैं, लेकिन अब वे खुलकर सांस ले सकते हैं."
उन्होंने कहा, "जहां तक मेरे सीबीएफसी अध्यक्ष पद छोड़ने का सवाल है, तो मैं यह फैसला पूरी तरह से सरकार पर छोड़ता हूं. सरकार ने ही मुझसे जनवरी 2015 में यह पद ग्रहण करने के लिए कहा था. मुझे इस पद पर नियुक्त करने का फैसला मेरे लिए पूरी तरह से हैरान करने वाला था. मैंने तुरंत ही पदभार संभाल लिया और अपनी सर्वश्रेष्ठ योग्यता के साथ काम करना शुरू कर दिया."
निहलानी ने कहा, "अगर अब मुझसे पद छोड़ने के लिए कहा जाता है तो मैं अपने उत्तराधिकारी को शुभकामनाएं देते हुए तुरंत ऐसा कर दूंगा." 'उड़ता पंजाब', 'हरामखोर', 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' और 'इंदु सरकार' जैसी फिल्मों पर विवाद के कारण निहलानी सुर्खियों में रहे हैं. खुद निहलानी का मानना है कि उनके ढाई वर्षो के कार्यकाल में सीबीफसी ने अच्छा काम किया है, फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है, दलाली और भ्रष्टाचार खत्म हुआ है.
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