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बढ़ सकती हैं स्कूली शिक्षा मंत्री की मुसीबतें
अमिताभ उपाध्याय
मध्यप्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। एक तो शाह की कुछ हरकतें आरएसएस को नागवार गुजारी हैं वहीँ सरकारी विज्ञापन में खुद का फोटो नहीं आने और मुख्यमंत्री का फोटो आने से झल्लाये विजय शाह को सरकार ने सुप्रिम कोर्ट का फैसला भेज कर आईना दिखा दिया है। शाह के साथ सभी मंत्रियों और सचिवों को प्रमुख सचिव जनसंपर्क ने पत्र भेज कर साफ़ किया है कि सरकारी विज्ञापन में मुख्यमंत्री या मंत्री में से किसी एक का ही फोटो प्रकाशित हो सकता है । अब यह विजय शाह को तय करना है कि वे बड़े नेता हैं या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह।
पिछले दोनों स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने जमकर मिशनरी स्कूलों की तारीफ़ की और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की। विजय शाह की इस हरकत को rss ने बहुत गंभीरता से लिया है। शिक्षामंत्री विजय शाह अब आरएसएस के निशाने पर आ गए हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विजय शाह के बयानों और घोषणाओं से कतई खुश नहीं है। विजय शाह मिशनरी शिक्षा व्यवस्था का समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं जबकि संघ की विचारधारा एवं शिक्षा पद्धति विद्या भारती की ओर से आती है।
rss में शिक्षा का काम देखने वाली संस्था विद्या भारती ने मंत्री के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाते हुए उनका विभाग बदलने की सलाह संगठन के बड़े नेताओं को दे दी है। स्कूल शिक्षा मंत्री बनने के बाद विजय शाह नित नई घोषणाएं कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा को लेकर उनकी सोच संघ की संस्था विद्या भारती से मेल नहीं खाती है। विद्या भारती से जुड़े सूत्रों का कहना है मंत्री जी का रवैया उनकी सोच को दर्शाता है और उनकी सोच संघ विचार से मेल नहीं रखती है। इसलिए संगठन को बता दिया गया है। मध्यप्रदेश सरकार में ऐसा शिक्षा मंत्री रहा तो शिक्षा व्यवस्था का भट्टा बैठना तय है।
विद्या भारती का सबसे पहला विरोध मंत्री शाह ने स्कूल शिक्ष विभाग की कमान मिलने के बाद की गई उस घोषणा से है जिसमे शाह ने शिक्षकों को एप्रेन पहनाने और हर शिक्षक को नाम की पट्टिका लगाने की बात कही थी । शिक्षक ही उनकी इस घोषणा के विरोध में उतर आए है। इसके अलावा शाह की प्रदेश में पांच हजार नर्सरी स्कूल खोलने की घोषणा भी संघ को नहीं पच रही है। संघ शिक्षा को लेकर जो एजेन्डा चला रहा है उसमें वह पांच साल का होने पर ही बच्चे को स्कूल भेजने की सलाह दे रहा है। संघ का कहना है कि अगर नर्सरी स्कूल खोले जाते हैं तो फिर सरकार द्वारा संचालित की जा रही लाखों आंगनबाड़ी केन्द्रों का क्या होगा।
विजय शाह संघ की नाराजगी दूर कर पाते उससे पहले एक सरकारी विज्ञापन प्रकाशित हुआ जिसमे मुख्यमंत्री का चित्र तो था लेकिन विजय शाह का नहीं ,इस मसले पर विजय शाह ने विभाग के पीएस एस आर मोहंती को अपनी नाराजगी दर्ज करवाई। मोहंती मामले को ऊपर तक ले गए तो उन्हें भी मुँह की खानी पड़ी।
विजय शाह के नाराजगी के बाद जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने सभी सचिवों को एक पत्र के साथ सरकारी विज्ञापन में किसके चित्र प्रकाशित होंगे इस बारे में सुप्रिम कोर्ट के फैसले की प्रति भेजी है। जिसमे सुप्रीम कोर्ट के साफ़ निर्देश हैं कि राज्य सरकार के विज्ञापन में या तो मुख्यमंत्री या फिर सम्बंधित मंत्री में से किसी एक का ही चित्र लगाया जा सकता है।
इस घटनाक्रम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी शाह से नाराज बताये जा रहे हैं। अब ये विजय शाह को तय करना पडेगा कि वे ज्यादा बड़े नेता हैं या शिवराज सिंह ?
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