मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के एक एक धार्मिक समारोह में उनकी पत्नी द्वारा गाल खींचने पर कोंग्रेस ने चुटकी ली है और इस मामले की आलोचना की है। कोंग्रेस ने सवाल किया कि भक्ति भाव के आनंदित माहौल में श्रीमती साधना सिंह ने गरिमा खोई.. क्या इससे सरकार की मानहानि नहीं हुई?
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के.मिश्रा ने गत तीन दिनों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के श्यामला हिल्स स्थित सरकारी आवास पर पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण और पूजनोपरांत उन्हें नर्मदा में विसर्जित किये जाने की व्यक्तिगत आस्थाओं से जुड़े आयोजन को राजनैतिक स्वरूप दिए जाने की निंदा की है। उन्होंने इस दौरान हो रहे भजन में नाचते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गालों को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह द्वारा सार्वजनिक रूप से नोंचने को भी अमर्यादित व् गरिमाहीन आचरण बताते हुए कहा कि क्या इससे सरकार की मानहानि नहीं हुई है?
मिश्रा ने कहा कि सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन ने कहा है "धर्म धारण करने की वस्तु है, प्रदर्शन की नहीं" और जब उसमें गरिमा भी खो दी जाये तो क्या होगा? मिश्रा ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि इस भव्य आयोजन को क्या सरकारी खर्च पर किया गया है, ढाई-तीन हजार लोगों को परोसी गई भोजन प्रसादी का खर्च किसने उठाया, क्या इस आयोजन को मुख्यमंत्री आवास के बजाय उनके गृह ग्राम जैत, जिला सीहोर में नहीं किया जा सकता था, यदि यह आयोजन व्यक्तिगत था तो व्यक्तिगत आस्थाओं को राजनैतिक डुबकियों में प्रवाहित क्यों किया गया?
वहीँ वरिष्ठ पत्रकार महेश दीक्षित ने इस घटनाक्रम के बाद लिखा यह सब क्या हो रहा है सीएम साहब!
सीएम हाउस में श्रीदेव प्रभाकर शास्त्री दद्दाजी के सानिध्य में मनाए गए शिव लिंग निर्माण महोत्सव के जरिए आखिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी प्रदेश की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं? राजे-रजवाड़ों के समय में भी राज परिसरों में ऐसे धार्मिक अनुष्ठान होते थे। राजा-रानी राज परिवार के साथ उसमें पूरी मर्यादा में शामिल होते थे। अनुष्ठान करते थे। इन अनुष्ठानों के पीछे उनका उद्देश्य सिर्फ लोक कल्याण होता था।
लेकिन इस अनुष्ठान में यह क्या देख रहे हैं हम। आप आदरणीय भाभीजी के साथ नाच रहे हैं, गा रहे हैं। भाभीजी सबके सामने आपके गाल-कान खींच रहीं हैं। धार्मिक भावना के अतिरेक में, प्रेम में एेसा हुआ होगा, हम मानते हैं, लेकिन आप यह क्यों भूल जाते हैं कि आप जिस घर में विराजमान हैं वह प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के मुखिया का घर है अकेले आदरणीय साधना सिंहजी के पति का घर नहीं है।
सीएम साहब यह नाचना, गाल खीचना, कान खिंचवाना नितांत अकेले में, अपने घर में अच्छा लगता है, सीएम हाउस जैसी जगह पर कतई नहीं। कुछ दलाल किस्म के वो पत्रकार और नेता, जो इस तीन दिनी महोत्सव के दौरान आपके और भाभीजी के साथ फोटो खिचवाने और आपको मुंह दिखाने में लगे रहे, भले ही आपके इस कृत्य की तारीफ करें, लेकिन कोई भी सच्चा और अच्छा नागरिक अपने सीएम के इस आचरण को शोभनीय नहीं कहेगा।