आधी रात का आपातकाल
बलबीर पुंज वह कौन सी मानसिकता है जिससे प्रेरित होकर देश का सर्वोच्च सत्ता अधिष्ठान अपनी नाम के नीचे सैयद अली शाह गिलानी को भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ विषवमन करने की अनुमति देता है और भारत माता की जय बोलने वाले एक निहत्थे समूह को विश्राम करते हुए अर्द्ध रात्रि में पुलिसिया बर्बरता का शिकार बनाती है ? क्या कारण है कि सत्ता अधिष्ठान का एक भाग बाटला हाउस मुठभेड़ में शहीद हुए इंस्पेक्टर एमसी शर्मा के साथ खड़े न होकर मारे गए आतंकवादियों से सहानुभूति प्रकट करता नजर आता है ? क्या कारण है कि पाकिस्तान में अमेरिका के हाथों ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद उसके मजहबी व मानवाधिकारों की रक्षा की मांग उठती है, वही भगवा वस्त्र पहने हुए, रामधुन व वंदेमातरम् का उद्घोष करने वालों को शांतिपूर्वक अनशन करने के अधिकार से भी वंचित किया जाता है ? क्या कारण है कि आतंकवादी लादेन को ÷जी' कहकर सम्मान दिया जाता है, वहीं भगवाधारी राष्ट्रभक्त को ठग कहकर लांछित किया जाता है ? क्या कोई बता सकता है कि आयकर और प्रवर्तन निदेशालय जैसी सरकार की जितनी भी एजेंसियां हैं, क्यों बाता रामदेव के पीछे पंजे झाड़कर पड़ गई है, जबकि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जिस विनायक सेन को देशद्रोही पाया और जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी केवल जमानत दी है, दोषमुक्त नहीं किया, उसे सरकार योजना आयोग में सदस्य बनाती है ? क्या यह सब इसलिए कि बाबा रामदेव देश को जोड़ने और देशद्रोहियों द्वारा जो देश की अकूत संपत्ति विदेशों में भेजी गई है, उसे वापस लौटाने की आवाज उठाते हैं ? यदि बाबा रामदेव ठग हैं तो उनकी अगवानी के लिए चार केन्द्रीय मंत्री हवाई अड्डा क्यों गए ? यदि बाबा की नीति और नीयत ठीक नहीं थी तो उनसे तीन दिनों तक सरकार क्यों मंत्रणा कर रही थी ? क्यों बाबा की सारी मांगें मान लेने का दावा किया गया ? वास्तविकता तो यह है कि ज्यों ही बाबा ने सरकारी दबाव के आगे झुकने से इंकार किया, कांग्रेस का ÷ डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट ' हरकत में आ गया । अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान भी कांग्रेस ने अन्ना हजारे के आन्दोलन के दौरान भी कांग्रेस ने अन्ना हजारे, अधिवक्ता पिता-पुत्र और अरविंद केजरीवाल के छविभंजन का घृणित प्रयास किया था । स्वाभाविक प्रश्न है कि क्या भगवा वस्त्र से वर्तमान सत्ता अधिष्ठान अपने आप को असहज महसूस करता है ? वह कौन सा व्यक्तित्व है, जिसे भारत की सनातनी और बहुलतावादी संस्कृति के प्रतीक भगवा रंग से चिढ़ है? क्या कारण है कि चारा घोटाले में घिरे लालू प्रसाद यादव और अपने चुनावी सभाओं में ओसामा बिन लादेन का हमशक्ल साथ लेकर घूमने वाले राम विलास पासवान, बाबा रामदेव के सबसे बड़े आलोचक हैं ? विगत चार जून को देर रात दिल्ली के रामलीला मैदान में जो हुआ वह लोकतंत्र के इतिहास में अब तक का सबसे शर्मनाक अध्याय है । यह इंदिरा कालीन आपातकाल की बर्बरता की ही याद दिलाता है । लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने ५ जून, १९७५ को ÷ राष्ट्र नवनिर्माण ' के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था । तत्कालीन सत्तासीन कांग्रेस ने उक्त जनांदोलन के दमन के लिए रातोंरात आन्दोलनकारियों को जेल की सलाखों के अंदर धकेल दिया । उन पर पुलिसिया जुल्म ढाए गए । लोकतंत्र का गला घोंटने के लिए प्रेस पर प्रतिबंध लगा यिा गया । सरकारी तानाशाही चलाने के लिए इंदिरा सरकार ने देश पर आपातकाल थोप दिया था । सरकार की यह निरंकुशता भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में कलंक है । कई महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी रहस्यमय चुप्पी साधे रहती है । रामलीला मैदान में हुए पुलिसिया अत्याचार पर भी वह मौन हैं । गुजरात दंगों के खिलाफ आइएएस की नौकरी छोड़ गुजरात सरकार विरोधी मुहिम में जुटे हर्ष मांदर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य हैं । जब सारा देश अन्ना के आन्दोलन में उनके साथ खड़ा था, तब मांदर ने एक दैनिक में लिखा था, ÷÷ मंच पर भारत माता का चित्र होने और आन्दोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शामिल होने के कारण मैं जंतरमंतर नहीं गया ।'' आज एक बार फिर कांग्रेसी नेता बाबा रामदेव के आंदोलन में विहिप और संघ परिवार के शामिल होने का प्रश्न खड़ा कर रहे हैं । यह इस बात का द्योतक है कि इस आन्दोलन को दबाने में दस जनपथ की चौकड़ी ही मुख्य भूमिका में है । आन्दोलनकारी जिस भी विचारधारा के हों, इस देश का नागरिक होने के नाते उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन का अधिकार है । ÷ सिमी ' जैसे राष्ट्रद्रोही और प्रतिबंधित संगठन के पक्ष में खड़े रहने वाले दिग्विजय सिंह सरीखे कांग्रेसी नेता संघ परिवार को साम्प्रदायिक साबित करने के लिए ÷ भगवा आतंकवाद ' का झूठ स्थापित करने में जूटे हैं । आपातकाल की बर्बरता को न्यायोचित ठहराने के लिए इन्दिरा सरकार ने विपक्षी दलों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तख्तापलट और राष्ट्रद्रोह का मिथ्या आरोप लगाया था । आज कांग्रेस संघ परिवार पर देश को अस्थिर करने का झूठा आरोप लगा रही है । यह भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस की हताशा को ही रेखांकित करता है। काले धन की वापसी की मांग को लेकर सरकार आखिर इतनी बौखलाई हुई क्यों है ? सर्वोच्च न्यायालय की लगातार फटकार और जर्मनी सरकार द्वारा विदेशों में काला धन जमा करने वाले करचोरों व भ्रष्टाचारियों की सूची उपलब्ध कराने के बावजूद सरकार किन चेहरों को छिपाना चाहती है ? इन सवालों के जवाब में ही कांग्रेसी तानाशाही का राज छिपा है, जो बोफोर्स दलाली कांड का मामला उठते ही अधीर हो उठती है । अन्ना हजारे के बाद बाबा रामदेव के आन्दोलन को मिल रहा अपार जन समर्थन वास्तव में संप्रग-२ के पिछले दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान अलग-अलग घोटालों में हुए सार्वजनिक धन की लूट के प्रति जन आक्रोश का प्रकटीकरण है । मंत्री और नेताओं के मुखौटे लगाए ये लुटेरे देश को लूटने में इसलिए सफल हो रहे हैं, क्योंकि व्यवस्था ने जिन प्रधानमंत्री को सार्वजनिक हितों की रक्षा की जिम्मेदारी दी है, उन्होंने अपनी जवाबदेहियों का निर्वाह नहीं किया । उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौल पर हुए पुलिसिया अत्याचार के बाद राहुल गांधी वहां के दौरे पर गए थे । राख के ढेर में उन्होंने मानव अस्थियां देखने का आरोप लगाया । हालांकि बाद में यह निराधार साबित हुआ, किन्तु तब राहुल गांधी ने इस घटना के कारण अपने आप को भारतीय कहलाने में शर्म आने की बात कही थी ? क्या रामलीला मैदान में चली पुलिसिया बर्बरता पर भी उनकी आत्मा उन्हें कचोटेगी ? गंभीर रूप से घायल होने के कारण दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में दाखिल लोगों से सहानुभूति प्रकट करने की आवश्यकता क्या कांग्रेस अध्यक्ष और प्रधानमंत्री महसूस करेंगे ? कांग्रेस के हाथों देशद्रोही गिलानी को समर्थन और बाबा रामदेव को मिली दुत्कार का वीभत्स अंतर वस्तुतः सत्ता अधिष्ठान की विचारधारा और नीतियों को ही परिभाषित करता है । ( लेखक भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं )