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भारत के प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहड़ ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि मैं भी हिन्दू हूं, लेकिन मैं किसी से नहीं डरता। प्रधान न्यायाधीश ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब 10वीं बार गोहत्या पर रोक लगाने की गुहार करने वाले याचिकाकर्ता ने कहा कि हिन्दू अदालत में आने से डरते हैं, वह इन बातों में नहीं पडऩा नहीं चाहते। प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता बाल राम बाली से कहा कि अदालत आने में डरने की बात क्या है।
उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि आप 10वीं बार यह याचिका लेकर आए हैं, पहले ही आपकी तमाम याचिका खारिज हो चुकी है। इस याचिका में भी कुछ नया नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्ष 1996 में संविधान पीठ ने इस संबंध में गलत आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि संविधान पीठ के फैसले में इस बात को गलत रिकॉर्ड किया गया है कि पूर्व में हिन्दू धर्म के लोग गाय और सूअर का मांस खाते थे।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वेद या धार्मिक ग्रंथों में ऐसी बातें नहीं लिखी हैं। लेकिन प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहड़ और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता बाली को चेतावनी दी कि अगर वह फिर से इस तरह की याचिका दायर करेंगे तो उन्होंने याचिका के साथ 50 हजार रुपए का ड्राफ्ट की संलग्न करना होगा। याचिकाकर्ता बाली पर अदालत की अवमानना का मामला भी चल चुका है, हालांकि बाद में अवमानना की कार्रवाई निरस्त कर दी गई थी।
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