Patrakar Priyanshi Chaturvedi
भोपाल जेल में हत्या कर भागे आतंकी भले ही मुठभेड़ में मारे गए हों ,लेकिन वे जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल छोड़ गए हैं। इस घटना से साफ़ जाहिर है कि जेल के भीतर भी कोई न कोई ऐसा व्यक्ति जरूर है जो इन आतंकियों से मिला हुआ था ।
भोपाल सेंट्रल जेल की सुरक्षा-व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्रीय जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर की थी। प्रशासन ने आतंकियों के भागने में तोमर की लापरवाही मानते हुए सस्पेंड किया है। बी-ब्लॉक के मुख्य वार्डन का जिम्मा प्रधान आरक्षक आनंदीलाल के पास था। वहां की सुरक्षा और मूवमेंट की जानकारी अधिकारियों को देने की जिम्मेदारी थी। इन्हें भी सस्पेंड किया गया है। इधर, सहायक जेलर विवेक परस्ते को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। बीती रात परस्ते के हवाले पूरी केंद्रीय जेल की सुरक्षा का जिम्मा था। साथ ही उन्हें आतंकियों की सेल भी उन्हीं के पास थी।वहीं जेलर आलोक वाजपेयी के पास सुरक्षा की मानीटरिंग, कर्मचारियों की सुरक्षा लगाने की जिम्मेदारी के साथ अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां थी। प्रथम दृष्टया इन सभी अधिकारियों को कर्तव्य के प्रति लापरवाही मानते हुए निलंबित किया गया है। निलंबित किए गए कर्मचारियों की विभागीय जांच भी कराए जाने की संभावना है।
आठों आतंकी अलग-अलग बैरक में थे। सभी बैरक के दरवाजे बाहर से लॉक रहते हैं। लॉक दीवार के अंदर होता है, ऐसे में अंदर से हाथ डालकर कोई भी आतंकी दरवाजा नहीं खोल सकता। आशंका जताई जा रही है कि जेल के अंदर का कोई व्यक्ति मिला हुआ था, जिसने आतंकियों के बैरकों की चाबी तलाश कर बैरक के दरवाजे खोले हैं। हालांकि यह मामला जांच में शामिल है।
बताया जाता है कि देर रात किसी बीमारी या अनहोने की स्थिति में बैरकों की चाभी सुरक्षा में तैनात अधिकारियों के पास रहती है। बड़ा सवाल यह है कि बीती रात किस जेल अधिकारी के पास बैरकों की चाभी थी। उसकी क्या भूमिका है।
आतंकियों की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए केंद्रीय जेल भोपाल ने अन्य केंद्रीय जेलों से दो-दो जेल प्रहरियों व जिला जेलों से एक-एक प्रहरियों को भोपाल में तैनात कराया है। इस तरह 35 जेल प्रहरी भोपाल में तैनात हैं, लेकिन घटना के वक्त ये कहां ड्यूटी पर थे कोई बताने को तैयार नहीं
जेल सूत्रों ने बताया कि सभी ब्लॉकों की छत पर एसएएफ के जवान रात्रि में तैनात रहते हैं। बीती रात कुछ एसएएफ जवान भी नहीं थे। जो जवान ड्यूटी पर तैनात थे, वे घटना के वक्त सो रहे थे। जेल का अलार्म बजने के बाद एसएएफ के जवान जागे थे।
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