मिली-जुली कुश्ती
मिली-जुली कुश्ती
विनोद पुरोहित 'स्वर्णिम मध्यप्रदेश' बनाने के मकसद से आयोजित विधानसभा का विशेष सत्र शुक्रवार को पूरा हो गया | चार दिन के इस सत्र पर 'चौबे जी चले थे छब्बे जी बनने और गए दुब्बे जी' वाली कहावत फिट बैठ रही हैं | इस सत्र में कुछ नया होने की बात तो दूर, वह सब भी हुआ जो आम बैठकों में होता हैं | अड़ा-अड़ी में विपक्ष ने तो चारों दिन बैठक का बहिष्कार किया | टीका-टिप्पणियां ऐसी हुई जिनसे मध्यप्रदेश 'सुनहरा' होने के बजाय उस पर कालिख पुत गई |'रोने'का भी इस सत्र के नाम रिकॉर्ड बना | कांग्रेस विधयाकों की फब्तियों से दुखी विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी और भाजापा विधायक ललिता यादव विधानसभा में सुबक पड़े तो विपक्ष के उपनेता अजय सिंह सदन के बहार रोए | और प्रदेश की जनता ! वह अपने इन प्रतिनिधियों के व्यवहार से शर्मसार होती रही | उसे न आज सुधार होता दिखा न भविष्य की योजना दिखी | न बिजली पानी पर न स्कूलों पर न अस्पतालों पर महिलाओं को लेकर नौजवानों तक की कोई चिंता नहीं दिखी | उलटे चार दिन के सत्र ने जनता पर करोड़ों रुपए का वजन जरुर डाल दिया | अपने प्रतिनिधियों के वेतन-भत्तों का | भांग कुँए में हैं | दिल्ली से लेकर भोपाल तक | संसद से लेकर विधानसभा तक | सब जगह हंगामा ही हंगामा | लेकिन हमें चिंता सबसे पहले अपने घर की करनी हैं | जो हो गया सो हो गया | आगे की सुध लेनी चाहिए | विधानसभा में व्यवधान करने वालों को चाहे वे किसी भी पक्ष के हों, कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए | और अंत में, विपक्ष ने जिन मुद्दों पर सदन का वहिष्कार किया, उसे उन्हें परिणाम तक पहुँचाने की लडाई लड़नी चाहिए | नहीं तो जनता यही मानेगी कि कुश्ती मिली-जुली थी | (दखल)(विनोद पुरोहित की यह टिपण्णी पत्रिका से साभार)
Dakhal News 22 April 2016

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