हूँ अभी गर्भ में
हूँ अभी गर्भ में
जोगेंद्र सिंह हूँ अभी गर्भ मेंले रही आकरहुआ ही है शुरूस्पंदन ह्रदय काकि जान लियाकौन हूँ मैंजताने लायकहैं यंत्र नएक्या करतीतैयार हूँ कट जाने कोआएगा जोड़ा यंत्रों काहोगी कोख कलंकितकर रहे हैं पुर्जा-पुर्जाअलग मुझे माँ सेन सोच न ही समझ है मुझेकरूँ क्रंदन कैसेपर दर्द समझती हूँतडपा रहा कटना अंगों काबिन शब्दबे-आवाज़ होता करुण क्रंदनक्या सुन पायेगा कोई.....?लेते ज़न्म जिस कोख सेकाट रहे वेजन्मती इक नयी कोखमाँ..!! मैं तेरा अंतर हूँक्यूँ ना पसीजताह्रदय तेरा भीसज जाते कटे अंगधवल तस्तरी मेंबंद फिर छोटे बोरे मेंकिसी नाले की शोभा बढ़ातेशांत हूँ अबलग रहा जीवन सार्थककाम आना हैकुछ वक़्त मुझे भीबुझा क्षुधा अपनीखुश हैं जल-जंतुपड़े प्रतीक्षा मेंएक नए स्त्री बिम्ब की...!!(दखल)(साभार जोगेंद्र सिंह के ब्लॉग से)जोगेंद्र सिंह -( आप से निवेदन है , आप मेरा ब्लॉग ज्वाइन करें और वहीँ कविता की समीक्षा भी करें :::::http://jogendrasingh.blogspot.com/2010/05/blog-post_7483.html#comments )
Dakhal News 22 April 2016

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