Patrakar Priyanshi Chaturvedi
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शामिल होकर नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया। जहाँ विपक्ष के दोनों बड़े चेहरे—राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे—को आमंत्रण नहीं मिला, वहीं थरूर को बुलाए जाने पर कांग्रेस के भीतर ही कई नेताओं ने सवाल उठाए। पवन खेड़ा और जयराम रमेश सहित कई नेताओं ने केंद्र के इस निर्णय पर नाराज़गी जताई, लेकिन थरूर ने इन विवादों की परवाह किए बिना डिनर में शिरकत की।
डिनर में जाने के बाद इस बात की चर्चाएँ तेज़ हो गईं कि क्या शशि थरूर कांग्रेस छोड़ने की सोच रहे हैं। एनडीटीवी के इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि यह सवाल उनसे बार-बार क्यों पूछा जाता है। थरूर ने साफ कहा, “मैं कांग्रेस का सांसद हूं। इस पद तक पहुँचने के लिए मैंने बेहद मेहनत की है। अगर मुझे कुछ और सोचना भी हुआ तो यह गहराई से सोचने वाली बात होगी, यूँ ही नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि भोज में उनकी मौजूदगी किसी राजनीतिक संकेत के रूप में नहीं देखनी चाहिए।
राष्ट्रपति भवन में शामिल होने को लेकर उन्होंने कहा कि यह अवसर उनके लिए उपयोगी और सम्मानजनक था, क्योंकि विदेशी संबंधों पर संसदीय समिति के अध्यक्ष होने के नाते उन्हें कई पहलुओं को समझने का मौका मिलता है। थरूर ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष के बीच सहयोग ज़रूरी है और जहाँ मतभेद हों वहाँ बहस, लेकिन जहाँ सहमति हो वहाँ मिलकर काम होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जब वे सरकार की किसी अच्छी पहल की तारीफ करते हैं, तो उनकी ही पार्टी के कुछ लोगों को इससे चिढ़ होती है। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के कामों को आगे बढ़ाना अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारी बताया।
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