राष्ट्रपति मुर्मु ने व्यावसायिकता और देशभक्ति के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को सराहा
नई दिल्ली। मानेकशा सेंटर में गुरुवार को 'चाणक्य डिफेंस डायलॉग' के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत की संप्रभुता की रक्षा में शानदार व्यावसायिकता और देशभक्ति के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की हालिया सफलता हमारी काउंटर-टेरर और रोकथाम की रणनीति में एक अहम मोड़ है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चेतावनी दी कि दुनिया भर में 'लंबी शांति' कम हो रही है, क्योंकि दुनिया एक 'अनिश्चित और टूटी-फूटी व्यवस्था' में जा रही है।
राष्ट्रपति ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए पारंपरिक लड़ाई, काउंटर-इंसर्जेंसी और मानवीय संकटों में सेना के जवाब की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की हालिया सफलता हमारी काउंटर-टेरर और रोकथाम की रणनीति में एक अहम मोड़ है। दुनिया ने न सिर्फ भारत की सैन्य क्षमता पर ध्यान दिया, बल्कि शांति की तलाश में मजबूती से, लेकिन जिम्मेदारी से काम करने की भारत की नैतिक साफगोई पर भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल जियो पॉलिटिक्स को पावर सेंटर्स में मुकाबले, टेक्नोलॉजी में बदलाव और अस्थिर गठबंधनों से नया रूप मिल रहा है। मुकाबले के नए डोमेन साइबर, स्पेस, इन्फॉर्मेशन और कॉग्निटिव वॉरफेयर शांति और टकराव के बीच की लाइनों को धुंधला कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम के हमारे सभ्यतागत सिद्धांत से हमने दिखाया है कि रणनीतिक स्वायत्तता वैश्विक जिम्मेदारी के साथ रह सकती है। हमारी कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सशस्त्र बल मिलकर एक ऐसे भारत को दिखाते हैं, जो शांति चाहता है, लेकिन अपनी सीमाओं और अपने नागरिकों की ताकत और पक्के यकीन के साथ रक्षा करने के लिए तैयार है। द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि सेना ने संप्रभुता की रक्षा में व्यावसायिकता और देशभक्ति की मिसाल पेश की। उन्होंने सेना के 'परिवर्तन का दशक विजन के तहत खुद को बदलने की कोशिश पर जोर दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बातचीत की चर्चा और नतीजे पॉलिसी बनाने वालों को राष्ट्रीय नीति की भविष्य की रूपरेखा बनाने के लिए कीमती जानकारी देंगे।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग के उद्घाटन पर मौजूद सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी भाषण दिया। उन्होंने भारतीय सेना में बदलाव के लिए चार लक्ष्य बताए, जिनसे आने वाले सालों में भारतीय सेना में बदलाव आएंगे। उन्होंने कहा कि पहला लक्ष्य आत्मनिर्भरता, स्वदेशीकरण के जरिए सशक्तिकरण है। जनरल ने कहा कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, क्योंकि हम अपनी आत्मनिर्भर क्षमता का बेस और मजबूत कर रहे हैं। दूसरा 'स्प्रिंगबोर्ड' है तेजी से इनोवेशन। उन्होंने कहा कि हमें अब एआई, साइबर, क्वांटम, ऑटोनॉमस सिस्टम, स्पेस और एडवांस्ड मटीरियल में एक्सपेरिमेंट से आगे बढ़कर एंटरप्राइज़-स्केल इम्पैक्ट की ओर तेजी से बढ़ना होगा।
आर्मी चीफ ने तीसरा लक्ष्य इकोसिस्टम में सुधार को बताते हुए कहा कि जैसे-जैसे हम रक्षा वास्तुकला को राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता गोल के साथ अलाइन कर रहे हैं, हम अगले चरण को तेज करने के लिए इस बातचीत से ठोस सुझावों की उम्मीद कर रहे हैं। जनरल द्विवेदी ने कहा कि चौथा और आखिरी 'स्प्रिंगबोर्ड' मिलिट्री सिविल फ्यूजन है। उन्होंने समझाया कि युद्ध लड़ने की क्षमताओं का विकास एक मल्टी-एजेंसी, मल्टी-मॉडल कोशिश है, जिसमें एकेडेमिया, इंडस्ट्री और मिलिट्री की तिकड़ी को गहरा क्रॉस डोमेन सिनर्जी हासिल करनी होगी।
सेना की तीन चरणों वाली योजना पर उन्होंने कहा कि सेना ने पहले चरण की कल्पना की है, जो 2032 तक है और इसमें ट्रांसफॉर्मेशन या तेज बदलाव के दशक के तहत एक बड़ा फ्रेमवर्क शामिल है। दूसरा चरण 2032 से 2037 तक होगा, जो पहले चरण से मिले-जुले फायदों का पांच साल का समय है। तीसरा चरण 2037 से 2047 तक होगा। यह तब होगा जब हम इंटीग्रेटेड फ्यूचर रेडी फोर्स डिजाइन के अगले चरण पर पहुंचेंगे। जनरल द्विवेदी ने कहा कि दुनिया तेजी से बहुध्रुवीय होती जा रही है, जहां बड़ी ताकतें लगातार एक-दूसरे से लड़ रही हैं और मुकाबला कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी सवाल उठता है कि इस तेजी से बदलते ग्लोबल माहौल में निर्णायक और तैयार रहने के लिए भारतीय सेना को कैसे बदलना चाहिए।