भोपाल । विश्व में अक्टूबर माह को 'सायबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ' के रूप में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य जन-सामान्य को इस दिशा में जागरुक बनाने का है कि डिजिटल सुरक्षा केवल विशेषज्ञों की नहीं, बल्कि हर नागरिक और हर संस्था की सामुहिक जिम्मेदारी है। इस अवसर पर मध्य प्रदेश साइबर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (एमपी-सीईआरटी) ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करते हुए न केवल राज्य, बल्कि देशभर में नई मिसाल कायम की है। मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने 'सायबर भारत सेतु, राष्ट्रीय साइबर अभ्यास का सफल आयोजन किया।
जनसम्पर्क अधिकारी जूही श्रीवास्तव ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि एमपी-सीईआरटी ने स्थापना के बाद से अब तक 24 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं। इनमें राज्य शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए। इन सत्रों का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों को सायबर सुरक्षा के व्यावहारिक पहलुओं से जोड़कर उन्हें दैनिक कार्यप्रणाली में डिजिटल सुरक्षा के उपायों के प्रति संवेदनशील बनाना रहा है।
उन्होंने बताया कि एमपी-सीईआरटी ने रायसेन, विदिशा, राजगढ़ और सीहोर जिलों में जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए। यहां कर्मचारियों को संबंधित जिला कलेक्टर्स के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इन कार्यक्रमों का नेतृत्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं एमपी-सीईआरटी के निदेशक संजय दुबे ने किया। एमपी-सीईआरटी ने सितंबर 2025 में 'सायबर भारत सेतु' नामक राष्ट्रीय सायबर अभ्यास का सफल आयोजन किया। सीईआरटी-इंडिया और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से हुये इस आयोजन से मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया, जिसने इस स्तर का प्रशिक्षण आयोजन किया। इस अभ्यास से सिद्ध हुआ कि मध्य प्रदेश सायबर सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
नीति-निर्माताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विशेष आवासीय प्रशिक्षण
जनसम्पर्क अधिकारी के अनुसार, एमपी-सीईआरटी अब इस आधार पर आगे बढ़ते हुए समूह-अ और समूह-ब अधिकारियों तथा नीति- निर्माताओं के लिए तीन दिवसीय रेजिडेंशियल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह प्रशिक्षण अभ्यास 27 से 29 अक्टूबर तक गुजरात के गांधीनगर स्थित नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, (एनएफएसयू) में आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को सायबर सुरक्षा की समग्र समझ, वैश्विक प्रवृत्तियों, साइबर रक्षा की सर्वोतम रणनीतियों और नीति निर्माण की संरचनाओं की गहन जानकारी प्रदान करना है, जिससे शासन के हर स्तर पर सुरक्षा संस्कृति को सशक्त किया जा सके।
राज्य में सायबर सुरक्षा नेटवर्क के लिये 175 मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति
जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि एमपी-सीआईआरटी की रणनीति का मूल आधार 'विकेन्द्रित सतर्कता' (डीसेंट्रलाइज्ड विजिलेंस) है। राज्य सरकार ने अब तक 175 मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) की नियुक्ति विभागीय और जिलास्तर पर की है। ये अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सायबर सुरक्षा केवल आईटी इकाइयों तक सीमित न रहे, बल्कि यह हर नीति, प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यप्रवाह का हिस्सा बने। इस नेटवर्क को और मज़बूत करने के लिए एक एकीकृत सीआईएसओ पोर्टल लॉन्च किया गया है। इससे जोख़िम, घटनाओं, और संबंधित परामर्शों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग में सहायता मिलेगी। जल्द ही जिलों में भी ई-गवर्नेस प्रबंधकों (डी ई-जीएम) का भी नोमिनेशन किया जायेगा। उन्हें भी अपने जिलों के सीआईएसओ के रूप में नामित किया जाएगा। इससे राज्य स्तर पर प्रशिक्षित सायबर सुरक्षा नेतृत्व का एक विस्तृत नेटवर्क तैयार होगा।
सॉफ्टवेयर बिल ऑफ मटेरियल (एसबीओएम): कोड सुरक्षा में अभिनव कदम
उन्होंने बताया कि एमपी-सीईआरटी की सबसे प्रभावशाली तकनीकी में से एक सॉफ्टवेयर बिल ऑफ मटेरियल्स पद्धति का उपयोग है। यह प्रणाली सॉफ्टवेयर के घटकों की सूची तैयार करती है। इससे कमजोर या पुराने मॉड्युल्स की पहचान कर उन्हें समय रहते अपडेट किया जा सकता है। इससे नेशनल वल्नरेबिलिटी डेटाबेस (एनवीडी) के साथ समन्वय कर सुरक्षा खामियों की पहचान और समाधान की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।अक्टूबर 2025 तक 12 हज़ार से अधिक वल्नरेबिलिटी सफलतापूर्वक ठीक की जा चुकी हैं। साथ ही, नेशनल क्रिटिकल इंफोर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (एनसीआईआईपीसी) के साथ मिलकर 120 से अधिक उच्च-प्राथमिकता वाले मुद्दों का समाधान किया जा चुका है।
अनाधिकृत विज्ञापनों और सरकारी पोर्टल सुरक्षा पर कार्रवाई
इंडियन सायबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (आईसीसीसी), गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पर एमपी- सीईआरटी ने सरकारी वेबसाइटों पर पाए गए अनाधिकृत ऑनलाइन सट्टेबाज़ी (बेटिंग) विज्ञापनों के मामलों में भी तत्परता दिखाई है। सरकारी पोर्टलों में मिले इन विज्ञापनों में से 40 से अधिक मामलों का निवारण एमपी-सीईआरटी की टीम ने त्वरित रूप से किया है।
सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक जन-जागरूकता
एमपी-सीईआरटी न केवल तकनीकी मोर्चे पर, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ा रहा है। संस्था नियमित रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से पासवर्ड सुरक्षा, फिशिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी, डिजिटल लेनदेन सुरक्षा और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण जैसे विषयों पर सरल और रोचक सामग्री साझा कर रही है। इससे नागरिकों में साइबर सतर्कता की संस्कृति विकसित हो रही है।
सतत निगरानी और राष्ट्रीय सहयोग की दिशा में अग्रसर
एमपी-सीईआरटी का तकनीकी दल नियमित रूप से राज्य सरकार के 50 से अधिक पोर्टलों की सुरक्षा स्कैनिंग करता है। इसके माध्यम से कमजोरियों की पहचान कर तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जाता है। यह पहल राज्य शासन के सभी विभागों में साइबर सुरक्षा को शासन-प्रक्रिया का अभिन्न अंग बना रही है। सायबर सिक्योरिटी अवेयरनेस मंथ के अवसर पर एमपी-सीईआरटी की ये उपलब्धियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि मध्यप्रदेश सायबर सुरक्षित भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिये तैयार है। प्रशिक्षण, तकनीकी नवाचार, और विकेन्द्रित सतर्कता के माध्यम से राज्य ने दिखाया है कि जब शासन, तकनीक और जागरूकता साथ मिलेंगे, तभी सुरक्षित डिजिटल भविष्य संभव है।