कोलकाता । भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने पश्चिम बंगाल के 78 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचन निबंधन अधिकारियों (ईआरओ) के तत्काल प्रतिस्थापन के निर्देश दिए हैं। आयोग ने पाया है कि इन अधिकारियों की नियुक्ति ईसीआई द्वारा निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए की गई है।
इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भेजकर ऐसे अधिकारियों के नाम प्रस्तावित करने को कहा गया है जो ईसीआई के निर्धारित मानकों के अनुरूप हों। आयोग के अनुसार, केवल पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (कार्यकारी) कैडर के उप-मंडलाधिकारी, एसडीओ और ग्रामीण विकास अधिकारी जैसे अधिकारी ही ईआरओ नियुक्त किए जा सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक सूत्र ने बताया कि आयोग ने पाया है कि इन 78 निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसे अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो निर्धारित रैंक से नीचे हैं। इसी कारण ईआरओ के प्रतिस्थापन के निर्देश जारी किए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, आयोग राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों के ईआरओ की पदानुक्रम स्थिति की जांच कर रहा है। कई अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की विसंगतियां सामने आई हैं, जिनमें भी प्रतिस्थापन का आदेश दिया जाएगा।
पिछले सप्ताह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ईआरओ की नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं को लेकर निर्वाचन आयोग का ध्यान आकर्षित किया था। उन्होंने भी यह आरोप लगाया था कि आयोग के दिशा-निर्देशों से नीचे के अधिकारियों को ईआरओ नियुक्त किया गया है।
इसके बाद ईसीआई ने सीईओ कार्यालय को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी परिस्थिति में ईसीआई द्वारा निर्धारित मानकों से समझौता न किया जाए, विशेषकर बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) और ईआरओ की नियुक्तियों में।
आयोग ने जिलाधिकारियों, जो जिला निर्वाचन अधिकारी भी होते हैं, तथा अतिरिक्त जिलाधिकारी (चुनाव) को इस सप्ताह के भीतर “मैपिंग और मैचिंग” प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद राज्य में विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) की अधिसूचना जारी की जाएगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने पिछले सप्ताह स्पष्ट किया था कि वर्ष 2022 के विशेष पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची में जिनके नाम दर्ज थे, वे स्वचालित रूप से मान्य मतदाता माने जाएंगे।
हालांकि, जिनके नाम 2022 की सूची में नहीं हैं, उन्हें नागरिकता प्रमाण के रूप में आयोग द्वारा अनुमोदित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।