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मनोज मीक
कुछ फैसले विचारों की चुपचाप चलती रेखाओं से जन्म लेते हैं।
भोपाल राजधानी क्षेत्र में हो रही सुखद सरकारी घोषणाएँ, एक दीर्घकालिक नागरिक सोच का प्रतिफल हैं। राजधानी क्षेत्र में ग्रीन डेटा सेंटर, टेक नवाचार पार्क, रेल कोच कारख़ाना, तामोट औद्योगिक हब, विश्वस्तरीय विद्यालय ये सब परियोजनाएँ उस ऐतिहासिक उत्तरदायित्व की पुनःस्थापना है जो भोपाल ने वर्षों से ओढ़े रखा है।
कुछ समय पहले तक यह कहना कि राजधानी क्षेत्र में अति आधुनिक डेटा केंद्र स्थापित होंगे, मेट्रो कोच बनेंगे, या यहाँ वैश्विक विद्यालय और शायद एक भावुक स्वप्न लगता। पर आज जब यह सब वास्तव में घट रहा है, तो यह मानना होगा कि कल्पना और क्रियान्वयन के बीच की दूरी बहुत कुछ नागरिकों की आस्था और सरकार की सक्रियता से तय होती है।
एक साथ जागते हुए कई सूरज:
ताज़ा घटनाएँ कई दिशाओं से राजधानी क्षेत्र को प्रकाशित कर रही हैं:
= राजधानी में नवाचार, सेमीचालक, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिकी क्षेत्र की इकाइयाँ जिनके बारे में अभी तक हम केवल हैदराबाद या बेंगलुरु की चर्चा करते थे।
= तामोट में रेल कोच निर्माण कारख़ाना जिसमें मेट्रो और वंदे भारत जैसे अति आधुनिक डिब्बे बनाए जाएँगे।
= ब्रिटेन की सदियों पुरानी शैक्षिक संस्था का पहला भारतीय परिसर जो शिक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी की एक नई कहानी रच रहा है।
यह सब उन मानचित्रों की पुष्टि है, जो ‘कमाल का भोपाल’ जैसी नागरिक पहलों ने विगत वर्ष प्रस्तुत किए थे। क्रेडाई ने कहा था भोपाल राजधानी क्षेत्र नीति, नवाचार और नागरिक ऊर्जा का केंद्र बन सकता है और आज वह साकार होता दिख रहा है।
ये परियोजनाएँ आत्मनिर्भरता की भाषा है:
इस समय जबकि दुनिया व्यापारिक अवरोधों, टैरिफ़ नीति की लड़ाइयों और रणनीतिक निर्भरता से जूझ रही है, भोपाल जैसे शहरों का स्थान एक नये प्रकार के राष्ट्रीय स्वराज्य में बन रहा है डेटा स्वराज्य, उत्पादन स्वराज्य, और निर्णय स्वराज्य।
एआई आधारित सेमीकंडक्टर और ड्रोन निर्माण भविष्य के उद्योग है, सुरक्षा और वैज्ञानिक संप्रभुता के औज़ार हैं।
मेट्रो डिब्बों का निर्माण तकनीकी उत्पादन के साथ, आयात पर निर्भरता से मुक्ति का प्रतीक है।
और नवाचार आधारित वैश्विक शिक्षा, मानव पूंजी का जागरण है।
भोपाल में टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का बिग बैंग:
•हाइपरस्केल डेटा सेंटर, फिनटेक ग्रीन क्लस्टर
•ड्रोन व यूएवी चिप्स, सेमीकंडक्टर यूनिट्स, पीसीबी निर्माण
•इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पार्क
•एआई पार्क स्टार्टअप हब, स्मार्ट अर्बन इंफ्रा
यह सब सीधे ‘कमाल का भोपाल’ रिपोर्ट के “क्लीन कंप्यूट कैपिटल”, “एआई लाइटहाउस सिटी”, और “कैपिटल इनोवेशन बेल्ट” प्रस्ताव से मेल खाता है।
भविष्य की पाँच सीढ़ियाँ:
अब जबकि ‘कमाल का भोपाल’ अभियान नीति की ज़ुबान बन चुका है, अगला चरण है इस गति को दिशा देना।
1. राजधानी के नवाचार क्षेत्र के लिए एक पृथक प्रशासनिक इकाई जिससे तकनीकी निवेश और नीति एक ही मंच पर हों।
2. राजधानी विशेष क्षेत्र में विस्तारित लॉजिस्टिक्स और उत्पादन विंग बनाना।
3. क्लीन डेटा सैंडबॉक्स की शुरुआत से योजना, भूमि, मूल्यांकन जैसे कार्य अब साक्ष्य आधारित हों।
4. शिक्षा, तकनीक और विरासत का त्रिकोणीय उत्सव जो भोपाल को भारत के सांस्कृतिक–विज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित करे।
5. नगर और नागरिक के बीच संवाद का नया प्रारूप जिसमें निर्णय और भागीदारी एक-दूसरे से जुड़े हों।
राजधानी की भाषा अब बदल चुकी है:
यह ज़रूरी नहीं कि परिवर्तन के लिए कोई क्रांति हो, कई बार संवाद, साझेदारी और संकल्प ही पर्याप्त होते हैं।
आज जब मुख्यमंत्री से लेकर नीति नियंता राजधानी क्षेत्र को डेटा, ड्रोन, ट्रेन और शिक्षा का केंद्र घोषित कर रहे हैं, तो यह समझना होगा कि उनकी नीति, हमारी साझा आकांक्षा का परिणाम है।
ये महज़ इत्तेफाक़ नहीं…
ये उन नीतिगत परतों का प्रकट होना है, जो एक वर्ष पूर्व क्रेडाई द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में दर्ज की गई थीं।
एक दृढ़ नागरिक अभियान ‘कमाल का भोपाल’ अब एक मूल्य, दृष्टि और उत्तरदायित्व बन चुका है।
अंत में:
हर शहर का भविष्य केवल ईंट-पत्थर से नहीं बनता।
वह बनता है उसकी भाषा से, उसके स्वप्न से, और उन लोगों से जो इन दोनों को जोड़ना जानते हैं।
भोपाल अब स्वयं से संवाद कर रहा है और यही सबसे बड़ा संकेत है कि आने वाले समय का रंग ‘कमाल’ का है। (लेखक मनोज मीक, फाउंडर ‘कमाल का भोपाल’ अभियान
तथा क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष हैं)
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