Patrakar Priyanshi Chaturvedi
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को मंदसौर जिले के सीतामऊ में आयोजित ‘कृषि उद्योग समागम-2025’ में 'खाद्य प्र-संस्करण उद्यमियों से संवाद' कार्यक्रम में कहा कि खुशहाल कृषक और उन्नत कृषि मध्यप्रदेश की पहचान है। खाद्य प्र-संस्करण से जहां उद्योगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा, वहीं किसान भी आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में संचालित राज्य सरकार का संकल्प भी यही है। कृषि आधारित उद्योगों के लिए हमारी सरकार सरल व अनुकूल नीतियों का निर्माण कर उद्यमियों को बढ़ावा दे रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज 3812 करोड़ की लागत की 11 औद्योगिक इकाइयों का लोकार्पण, भूमि-पूजन हुआ है। इससे स्थानीय स्तर पर 6850 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। कृषि संबंधी उद्योगों की संभावनाओं पर निवेशकों से चर्चा की। साथ ही नीमच-मंदसौर जिले में नवीन उद्योग स्थापित करने वाले निवेशकों को आशय प्रमाण पत्र (लेटर ऑफ इन्टरेस्ट) भी प्रदान किए गये हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार के दरवाजे निवेशकों के लिए हमेशा खुले हैं। सरकार निवेशकों के मार्ग की सभी बाधाएं हटाने का काम कर रही है। हम सब प्रदेश की उन्नति के लिए संकल्पबद्ध हैं। सरकार हरसंभव सहयोग के लिए निवेशकों के साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उद्यानिकी क्षेत्र में 30 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बिजली पानी एवं बेहतर सड़क की सुविधा के साथ ही औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीतियां उपलब्ध हैं। औद्योगिक निवेश के लिए प्रदेश में बेहतर वातावरण है। उन्होंने कहा कि प्रति बीघा गेहूं के उत्पादन में मध्यप्रदेश ने अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार रोजगार के अवसर बढ़ाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले इस तरह के आयोजन बड़े शहरों में ही होते थे, परंतु अब हमने संभाग एवं जिला स्तर पर भी इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने का निर्णय लिया है और इसकी शुरुआत आज मंदसौर जिले से हुई है। राज्य सरकार सभी प्रकार के निवेशकों को समान रूप से निवेश के अवसर उपलब्ध करा रही है।
मुख्य सचिव अनुरागजैन ने कहा कि मध्यप्रदेश को रोजगारोन्मुखी बनाना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्राथमिकता है। उनका मानना है कि इसके लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की ग्रोथ रेट देश के बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। जीडीपी में भी कृषि का योगदान 44 प्रतिशत है। प्रदेश में सिंचाई के रकबे में हुई वृद्धि से कृषि क्षेत्र में उत्पादन उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। मंदसौर, नीमच क्षेत्र मसालों के लिए विख्यात रहा है। यहां खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों में पर्याप्त संभावनाएं विद्यमान हैं। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और विस्तार में सरलता के लिए राज्य सरकार ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण अनुपम राजन ने कहा कि कृषि उद्योग समागम की पहली कड़ी सीतामऊ मंदसौर में आयोजित हुई है। इसमें विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशा के अनुरूप इस प्रकार के समागम संभाग और जिला स्तर पर भी आयोजित किए जाएंगे। प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण की पर्याप्त संभावना विद्यमान है। इस संबंध में राज्य शासन की नीतियां भी निवेशकों, उद्योगपतियों के लिए अनुकूल हैं और राज्य सरकार भी खाद्य प्र-संस्करण को प्रदेश में नई ऊंचाई देने के लिए प्रतिबद्ध है। एमपीआईडीसी के प्रबंध संचालक चंद्रमौली शुक्ला ने निवेश प्रोत्साहन के अंतर्गत विभिन्न नीतियों के संबंध में जानकारी दी। उद्योगपति अजय भटनागर ने भी अपने अनुभव साझा किए। निवेशकों से चर्चा के दौरान उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना, उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, मंदसौर जिले की प्रभारी मंत्री निर्मला भूरिया, जन-प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में उद्योगपति एवं निवेशक उपस्थित रहे।
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