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21 January 2025कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी की हार के कारणों का विश्लेषण करते हुए पार्टी के भीतर कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार व्यक्त किए। कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति की बैठक में उन्होंने चुनावी हार की समीक्षा की और पार्टी के नेताओं से खुलकर बात की। इस बैठक में, उन्होंने न केवल पार्टी की पराजय के कारणों को समझाने की कोशिश की, बल्कि भविष्य में सुधार के लिए भी कई सुझाव दिए। खरगे ने विशेष रूप से पार्टी की गुटबाजी और नेताओं के बीच बयानबाजी को हार का मुख्य कारण बताया। उनका मानना था कि पार्टी के भीतर की इन समस्याओं ने कांग्रेस के प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाया है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बात पर जोर दिया कि जहां-जहां चुनाव हुए हैं, वहां I.N.D.I.A. गठबंधन की अन्य पार्टियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, और यहां तक कि जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में सहयोगी दलों ने सरकारें भी बनाई हैं। हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है, तो पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति खराब क्यों हो गई। यह सवाल पार्टी के भीतर गहरी समीक्षा की आवश्यकता को दर्शाता है।
खरगे ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि पार्टी में गुटबाजी और नेताओं के एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र में माहौल कांग्रेस के पक्ष में था, लेकिन पार्टी इस माहौल का लाभ क्यों नहीं उठा पाई, यह विचारणीय है। उनका मानना था कि अगर कांग्रेस पार्टी अपने आंतरिक विवादों पर काबू पाती और एकजुट होकर चुनावों में उतरती, तो परिणाम अलग हो सकते थे।
कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति की बैठक में जो प्रस्ताव पास किया गया, उसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के मुद्दे को भी उठाया गया। पार्टी ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया और इसके लिए आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया। यह प्रस्ताव और पार्टी की चिंता इस बात का संकेत है कि कांग्रेस को चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता महसूस हो रही है।
बैठक में कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने भी इस बात की पुष्टि की कि पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के कारणों का विश्लेषण करेगी। साथ ही, उन्होंने यह भी घोषणा की कि कांग्रेस बैलेट से चुनाव कराने की मांग को लेकर देशभर में आंदोलन शुरू करेगी। यह आंदोलन कांग्रेस की चुनावी प्रक्रिया में सुधार की कोशिशों का हिस्सा है, और पार्टी चुनावी प्रक्रिया को लेकर अपनी चिंताओं को जोर-शोर से उठाने की योजना बना रही है।
बैठक में हरियाणा में पार्टी की हार की जिम्मेदारी अजय माकन ने ली। उन्होंने स्वीकार किया कि स्क्रीनिंग कमिटी के चेयरमैन के रूप में उन्होंने सिटिंग विधायकों को टिकट दिया था, जो कि एक गलत फैसला था, क्योंकि इनमें से अधिकांश विधायक चुनाव में हार गए। अजय माकन ने इस निर्णय को अपनी गलती माना और कहा कि उन्हें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए था। यह कदम पार्टी के भीतर आत्ममंथन और जिम्मेदारी लेने की संस्कृति को प्रदर्शित करता है, जो पार्टी के भीतर सुधार की आवश्यकता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की, जो इशारों-इशारों में राहुल गांधी को भी संबोधित करती थी। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना, संविधान, और सामाजिक न्याय जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को उठाना तो उचित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चुनावी राज्यों के स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज किया जाए। खरगे का इशारा इस बात की ओर था कि राष्ट्रीय स्तर पर बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से स्थानीय चुनावों में जीत नहीं मिल सकती। उनका कहना था कि लोकल लीडरशिप को आगे आना होगा और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देनी होगी।
यह बयान इस बात की ओर भी इशारा करता है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है। पार्टी को यह समझने की आवश्यकता है कि प्रत्येक राज्य और क्षेत्र के अपने विशिष्ट मुद्दे होते हैं, जिनका स्थानीय नेताओं को संज्ञान लेना जरूरी है। राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने से चुनावी जीत की संभावना नहीं बढ़ सकती, अगर स्थानीय स्तर पर पार्टी का संगठन मजबूत नहीं होगा और अगर स्थानीय मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा।
कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति की इस बैठक ने पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण और सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट किया। कांग्रेस के नेताओं ने यह महसूस किया कि अगर पार्टी अपनी गुटबाजी और विवादों पर काबू नहीं पाती, तो चुनावी सफलता मुश्किल हो सकती है। पार्टी को अपनी नीतियों में सुधार करने की जरूरत है, और उसे अपने नेतृत्व को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा।
इसके साथ ही, कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भविष्य में चुनावी सुधारों के लिए संघर्ष करेगी। ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठे सवालों को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन का आह्वान किया है, जो यह दर्शाता है कि पार्टी अपनी चुनावी प्रक्रिया को लेकर गंभीर है और सुधार की दिशा में कदम उठा रही है।
इन सभी पहलुओं को देखते हुए, यह साफ है कि कांग्रेस के भीतर एक नई दिशा अपनाने की आवश्यकता है। पार्टी को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा, गुटबाजी पर काबू पाना होगा, और राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। यदि कांग्रेस इन पहलुओं पर काम करती है, तो वह भविष्य में बेहतर चुनावी प्रदर्शन कर सकती है और अपनी खोई हुई स्थिति को वापस पा सकती है।
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30 November 2024
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